मायानगरी में हरियाणवी रंगमंच की दस्तक, कलाकार मुंबई रवाना
दक्षिण हरियाणा की प्रमुख सांस्कृतिक संस्था बंजारा एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है। संस्था का चर्चित हास्य नाटक ‘जै सुख तै चाहवै जीवणा तो भोंदू बण के रह’ अब मायानगरी मुंबई के रंगमंच पर गूंजेगा। यह मुंबई रंगमंच पर किसी हरियाणवी नाटक का पहला मंचन होगा। संस्था का 20 सदस्यीय दल वीरवार को मुंबई के लिए रवाना हुआ। 27 सितंबर को अंधेरी स्थित वेदा कुणबा थियेटर में नाटक का 75वां मंचन होगा। इसके बाद 28 सितंबर को रंगशिला थियेटर में 76वां और 77वां शो प्रस्तुत किया जाएगा। लगातार तीन शो के माध्यम से रेवाड़ी के कलाकार मुंबई के रंगप्रेमियों के बीच हरियाणवी संस्कृति और व्यंग्य का अनोखा मिश्रण प्रस्तुत करेंगे। संस्था के लिए यह अवसर ऐतिहासिक है क्योंकि 1995 के राष्ट्रीय नाट्य उत्सव में इसी नाटक ने 4 पुरस्कार हासिल किए थे।
संस्था को सर्वश्रेष्ठ संस्था, निदेशक विजय भाटोटिया को श्रेष्ठ निदेशक, गोपाल शर्मा वसिष्ठ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता तथा संजय डाबला को श्रेष्ठ बाल कलाकार का सम्मान मिल चुका है। 30 वर्षों बाद एक बार फिर यह नाटक मायानगरी में हरियाणवी रंगकर्म की छाप छोड़ने जा रहा है।
नाटक के प्रमुख पात्र
नाटक के प्रमुख पात्रों में मास्टर (गोपाल शर्मा), मंत्री (विजय भाटोटिया), भोंदू (खूबराम सैनी), हेडमास्टर (ऋषि सिंहल), कूड़ामल (विनोद शर्मा), भरतू (राजेश जोली) और इंस्पेक्टर (पंकज वर्मा) शामिल हैं। इनके साथ सत्यप्रकाश, योगेश कौशिक, रविंद्र, मयंक सैनी, हिमांशु, देवेंद्र, सन्नी, राहुल, रजनी और विक्रांत सैनी विभिन्न भूमिकाएं निभा रहे हैं।
दर्शकों को हंसाते हुए सोचने पर मजबूर करता नाटक
नाटक में दिशाहीन शिक्षा व्यवस्था, जातिवाद, राजनीतिक हस्तक्षेप और घोटालों पर तीखे व्यंग्य किए गए हैं। 90 मिनट का यह नाटक हाजिरजवाबी, गीत-संगीत और राजनीतिक कटाक्ष के साथ दर्शकों को हंसाते हुए सोचने पर मजबूर करता है। संगीत सहयोग विपिन सुनेजा और सत्यवीर नाहड़िया का है। मुंबई में प्रस्तुति को लेकर फिल्म और रंगमंच जगत से जुड़े कई नामी कलाकार उत्साहित हैं। अभिनेता गोविंद नामदेव, राजपाल यादव, यशपाल शर्मा और जनार्दन शर्मा सहित अनेक हस्तियां नाटक की प्रशंसा कर चुकी हैं। निर्माता-निर्देशक यश चौहान, उपासना सिंह, शायना खान और अन्य कलाकार भी इसके प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।