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Gurugram University ज्ञान ही नहीं, हुनर भी देगी नयी शिक्षा नीति : महिपाल ढांडा

शिक्षा मंत्री ने गुरुग्राम यूनिवर्सिटी में एनईपी के क्रियान्वयन को लेकर की समीक्षा बैठक
गुरुग्राम में बुधवार को शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा गुरुग्राम यूनिवर्सिटी कार्यक्रम के बाद पौधारोपण करते हुए। साथ में कुलपति संजय कौशिक, सीएम के ओएसडी राज नेहरू, कुलसचिव संजय अरोड़ा सहित अन्य उपस्थित। -हप्र
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हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) का उद्देश्य छात्रों को केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि वास्तविक दुनिया के लिए ज़रूरी व्यावसायिक और व्यवहारिक कौशल भी देना है। उन्होंने कहा कि यह नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विजन को साकार करने का आधार बनेगी।

गुरुग्राम यूनिवर्सिटी में एनईपी के क्रियान्वयन को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने कुलगुरु संजय कौशिक, मुख्यमंत्री के ओएसडी राज नेहरू, कुलसचिव संजय अरोड़ा और विभिन्न विभागों के डीन व चेयरपर्सनों के साथ चर्चा की। बैठक में मंत्री ने शिक्षकों से सीधा संवाद करते हुए विभागीय गतिविधियों और छात्रों के करियर गाइडेंस के प्रयासों की जानकारी ली।

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शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की भूमिका सिर्फ पढ़ाने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। उन्हें छात्रों के समग्र व्यक्तित्व विकास में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालयों से अपील की कि वे बड़ी इंडस्ट्रीज़ के साथ समझौते करें ताकि विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ व्यावसायिक अनुभव भी मिल सके। बैठक में बताया गया कि गुरुग्राम यूनिवर्सिटी और इसके अधीन कॉलेजों में एनईपी को प्रभावी रूप से लागू किया जा चुका है। क्रेडिट आधारित कोर्स, स्किल-आधारित लर्निंग, मल्टीपल एंट्री-एग्ज़िट सिस्टम, स्टार्टअप-संवर्धन, इंटर्नशिप, प्रेक्टिकल ट्रेनिंग और करियर काउंसलिंग जैसी पहलें सक्रिय रूप से चल रही हैं।

शिक्षा मंत्री ने पौधारोपण भी किया

डीन अकादमिक प्रो. नीरा वर्मा ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से मंत्री को एनईपी की प्रगति से अवगत कराया। इस अवसर पर ढांडा ने बताया कि जहां केंद्र सरकार ने 2030 तक एनईपी लागू करने का लक्ष्य रखा है, वहीं हरियाणा इसे 2025 तक पूरी तरह लागू करने की दिशा में अग्रसर है। कार्यक्रम के अंत में मंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण कर पर्यावरण-संदेश भी दिया। कुलगुरु कौशिक ने नए परिसर की जानकारी दी, जबकि ओएसडी राज नेहरू ने उद्योग-उन्मुख पाठ्यक्रमों पर ज़ोर देने की बात कही।

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