गुरुग्राम शहर और उद्योग मिलकर टिकाऊ विकास को अपनाएं
देश को स्वच्छ, हरित (पर्यावरण के अनुकूल) और पुनः उपयोग पर आधारित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के उद्देश्य से बुधवार को गुरुग्राम में इंडिया सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के चौथे संस्करण का शुभारंभ हुआ। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सहयोग एवं अंतर्राष्ट्रीय सर्कुलर इकोनॉमी परिषद (आइसीसीई) के तत्वावधान में संस्करण के चौथे सत्र का शुभारंभ रेडिसन होटल में किया गया है।
कार्यक्रम में देश-विदेश के नीति विशेषज्ञों, उद्योग जगत के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। शुभारंभ सत्र में आइसीसीई की प्रबंध निदेशक शालिनी गोयल भल्ला, री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड के एमडी मसूद मलिक, हुंडई मोटर्स इंडिया लिमिटेड से पुनीत आनंद, भारतीय खाद्य व्यापार परिसंघ के अध्यक्ष संजय खजूरिया और अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे।
आइसीसीई की प्रबंध निदेशक शालिनी गोयल भल्ला ने शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि गुरुग्राम मिलेनियम सिटी होने के साथ-साथ हरियाणा की लाइफलाइन भी है। ऐसे में हम सभी के लिए आवश्यक है कि गुरुग्राम शहर और उद्योग मिलकर साफ-सुथरे और टिकाऊ विकास को अपनाएं। गुरुग्राम और ऐसे अन्य शहरों को मिलकर स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ना होगा। सभी विभागों, संस्थाओं और नागरिकों के साथ मिलकर इस दिशा में मजबूत कदम उठा सकते हैं।
सत्र के पहले दिन संजय खजूरिया ने कहा राज्य के शहरों को संसाधनों का सही इस्तेमाल करते हुए दूसरों के लिए उदाहरण बनना होगा। इसके लिए सरकार, उद्योग और आम जनता को मिलकर काम करना होगा। री-सस्टेनेबिलिटी के प्रमुख मसूद मलिक ने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी कोई फैशन नहीं, बल्कि देश की ज़रूरत है। इंडिया सर्कुलर इकोनॉमी फोरम जैसा मंच देश में इस बदलाव की सोच को लेकर अग्रसर है।
दूसरे दिन नीति और तकनीक के मेल पर रहेगा फोकस
दो-दिवसीय संस्करण के दूसरे दिन के सत्र में नीति आयोग, एमएसएमई, शहरी मामलों के मंत्रालय और हरियाणा सरकार के अधिकारी अपने विचार साझा करेंगे, जिनमें कृषि और भोजन से निकलने वाले कचरे की कमी, शहरों में अपशिष्ट प्रबंधन के आसान और स्थानीय उपाय, पर्यावरण के अनुकूल शहरों की योजना, नवीकरणीय ऊर्जा, सीएसआर और कपड़ा उद्योग में बदलाव आदि पर सार्थक चर्चा की जाएगी।
पहले दिन इन विषयों पर हुई चर्चा
सत्र के पहले दिन साफ-सुथरी और पर्यावरण के अनुकूल यातायात व्यवस्था, ई-कचरे और पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स का सही इस्तेमाल, युवाओं के लिए सर्कुलर इकोनॉमी से जुड़ी ट्रेनिंग, पुराने निर्माण सामग्री (मलबे) का दोबारा इस्तेमाल पर निर्णायक चर्चा की गई। इस दौरान कई मास्टरक्लास और उद्योगों से जुड़े सत्र भी हुए जिनमें बताया गया कि व्यापार में कैसे दोबारा उपयोग और पर्यावरण की सोच को शामिल किया जा सकता है।