जीएसटी कटौती से रियल एस्टेट सेक्टर में नई उम्मीदें, घर खरीदारों को मिलेगा सीधा फायदा
त्योहारी सीजन से पहले लिया गया यह फैसला न सिर्फ आवासीय प्रोजेक्ट्स बल्कि कमर्शियल प्रोजेक्ट्स को भी नई रफ्तार देगा। उद्योग जगत का मानना है कि इनपुट लागत में कमी से न केवल प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे होंगे बल्कि डेवलपर्स उन्हें और अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर डिलीवर कर सकेंगे।
अंसल हाउसिंग के डायरेक्टर कुशाग्र अंसल ने इसे पूरे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए नई ऊर्जा देने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि निर्माण सामग्री की लागत कम होने से प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग और डिलीवरी दोनों आसान होंगी, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर घर मिल सकेंगे। यह एक ऐसा कदम है, जो उद्योग और उपभोक्ता दोनों के लिए बेहद फायदेमंद है।
न्यूमैक्स रियल्कॉन के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील गोयल ने इसे भरोसा बढ़ाने वाला निर्णय बताया। उनके अनुसार, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि टैक्स कटौती का लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचे, खासकर निर्माणाधीन परियोजनाओं में। यदि डेवलपर्स इसे पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाते हैं, तो यह विश्वसनीयता और दीर्घकालिक खरीदार विश्वास को मजबूत करेगा।
सेल्स और सीआरएम, एम 2 के वाइस प्रेजिडेंट मार्केटिंग डॉ. विशेष रावत ने कहा,सीमेंट की लागत निर्माण खर्च में एक बड़ा हिस्सा होती है, और उस पर टैक्स में कमी से घरों की कुल लागत कम होगी, जिससे खरीदारों को लागत बचत का लाभ होगा। खासकर उन लोगों को जो निर्माणाधीन संपत्तियों पर विचार कर रहे हैं।
B360 रियल्टर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अंकित कंसल ने बताया कि आवास निर्माण में सीमेंट का हिस्सा लगभग 10-15% होता है, और टैक्स कटौती से इनपुट कॉस्ट में बड़ी राहत मिलेगी। यह लाभ सीधे अंततः खरीदारों तक पहुंचाया जा सकता है, जिससे आवास क्षेत्र अधिक वहनीय बनेगा। इससे अफोर्डेबल होम्स के अलावा मिड व हाई इनकम ग्रुप को भी घर खरीदने में मदद मिलेगी।
बेटरचॉइस रियल्टर्स के चीफ सेल्स ऑफिसर अजय त्यागी के अनुसार, यह निर्णय घरों की वहनीयता बढ़ाएगा। निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स में खरीदार लाखों की बचत कर सकते हैं। यह परिवारों को आत्मविश्वास देता है कि वे घर खरीदने का निर्णय लें और इस त्योहारी सीजन में अपना पहला घर लेने का सपना और अधिक सुलभ हो सके।
एसपीजे ग्रुप के फाउंडर पंकज जैन ने कहा कि यह सिर्फ तात्कालिक राहत नहीं बल्कि रियल एस्टेट को लंबे समय तक टिकाऊ बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। जमीन, फाइनेंस और नियम-कानून के दबाव से निर्माण लागत लगातार बढ़ रही थी, ऐसे में सबसे बड़ी इनपुट लागत में संतुलन लाना बेहद जरूरी था।