फर्रुखनगर से लोहारू वाया झज्जर-दादरी रेल लाइन पर ग्रीन सिग्नल
रेलवे बोर्ड (फाइनेंस) की ओर से नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे, जयपुर को भेजे गए आधिकारिक पत्र ने साफ संकेत दे दिए हैं कि यह परियोजना अब फिर से सक्रिय मोड में आ चुकी है और यह वही एंगल है, जिसे हरियाणा बरसों से इंतजार कर रहा था। इस रेल लाइन का पुराना सर्वे 2016 के तहत पहले भी हुआ था। जिसे रेलवे ने कम ट्रैफिक, कम आबादी और आर्थिक संभावनाओं की कमी बताते हुए ‘नेगेटिव’ रिपोर्ट के साथ बंद कर दिया था। लेकिन 8 साल में हरियाणा का भूगोल, जनसंख्या और औद्योगिक फैलाव पूरी तरह बदल चुका है। दादरी जिला बन चुका है। 152डी एक्सप्रेस के निर्माण के बाद औद्योगिक विकास की नयी संभावनाएं खुली हैं। अब परिस्थितियां काफी बदल गई हैं। झज्जर में औद्योगिक विकास के अलावा गुरुग्राम रोड पर ही रिलायंस द्वारा विकसित किया जा रहा। सबसे मॉडर्न शहर, भारी उद्योग और निर्यात इकाइयां, गुरुग्राम का विस्तार, बहादुरगढ़–दिल्ली का औद्योगिक दबाव और दक्षिण हरियाणा का तेज शहरीकरण जैसे कई एेसे पहलू हैं, जो इस लाइन का महत्व बढ़ाते हैं।
सामरिक दृष्टि से भी इस रेल कॉरिडोर को काफी अहम माना जा रहा है। लोहारू से आगे राजस्थान तक कनेक्टिविटी का विस्तार होगा। इन बदली परिस्थितियों को देखते हुए रेलवे ने स्वीकार किया है कि पुराने इनपुट अब अप्रासंगिक हैं। इसलिए इस बार सर्वे पूरी तरह नये पैरा-मीटर पर होगा। जमीन, संभावित ट्रैफिक, फ्रेट लोड, पोर्ट कनेक्टिविटी, इंडस्ट्रियल क्लस्टर और भविष्य की आवश्यकताओं को सामने रखते हुए।
यहां बता दें कि इस प्रोजेक्ट को लेकर सहकारिता मंत्री डा. अरविंद शर्मा व भिवानी-महेंद्रगढ़ सांसद धर्मबीर सिंह सहित कई नेता लंबे समय से प्रयासरत थे। रोहतक सांसद रहते हुए अरविंद शर्मा ने भी केंद्र को कई बार पत्र लिखे थे। वहीं, धर्मबीर इस प्रोजेक्ट को लेकर रेल मंत्रालय में भी कई बार चक्कर लगा चुके हैं। दादरी विधायक सुनील सतपाल सांगवान, बाढ़डा विधायक उमेद पातुवास, जिला परिषद चेयरमैन मंदीप डालावास व दादरी भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील इंजीनियर ने सर्वे को मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार का आभार जताते हुए धर्मबीर सिंह और अरविंद शर्मा का भी धन्यवाद किया है कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए इतनी मेहनत की।
रेल मंत्रालय ने जारी किए 2.35 करोड़
मंत्रालय ने सर्वे के लिए 2 करोड़ 35 लाख रुपये का बजट जारी किया है। यह पूरी राशि झज्जर-चरखी दादरी-लोहारू सेक्शन के लिए है, जिसे इस परियोजना का स्पाइन माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो सर्वे में नया रेल ट्रैक अलाइनमेंट, जमीन के अधिग्रहण की जरूरत, स्टेशन पॉइंट्स, फ्रेट कॉरिडोर कनेक्शन, यात्री संभावनाएं तथा लागत बनाम लाभ का विस्तृत विश्लेषण शामिल रहेगा। यही रिपोर्ट यह तय करेगी कि यह परियोजना रेलवे बजट में किस वित्तीय वर्ष में और किस स्वरूप में शामिल होगी।
गुजरात के 5 पोर्ट तक बनेगा सीधा रास्ता
इस रेल लाइन को महज एक ‘लोकल डिमांड’ के रूप में नहीं देखा जा रहा। रेलवे इसे अब ‘साउथ हरियाणा इकोनॉमिक रेल कॉरिडोर’ के रूप में परीक्षण कर रहा है। कारण साफ है, यदि यह लाइन मंजूर होती है तो यह मार्ग दिल्ली को सीधे कांडला पोर्ट, मुंद्रा पोर्ट, नवलखी, मांडवी और जखाऊ पोर्ट तक जोड़ देगा। यानी एक लाइन से सीधे पांच पोर्ट की कनेक्टिविटी। देश की राजधानी से पश्चिमी समुद्री तट तक एक निर्बाध रेल कॉरिडोर के रूप में यह विकसित हो सकता है। यह अपने आप में उद्योग, निर्यात, माल ढुलाई और रणनीतिक लॉजिस्टिक्स के लिए एक बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है।
झज्जर बन सकता है बड़ा जंक्शन
यह लाइन सिर्फ झज्जर के लिए नहीं बल्कि पूरे एनसीआर क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होगी। इससे फरुर्खनगर से गुरुग्राम, झज्जर से दादरी, झज्जर से बहादुरगढ़, झज्जर से रोहतक-रेवाड़ी लाइन को भी कनेक्ट करने की संभावनाएं खुल जाती हैं। झज्जर से बहादुरगढ़ तक रेल लाइन की मांग भी चल रही है। अगर ऐसा होता है तो अकेले झज्जर ही नहीं बल्कि दादरी व लोहारू आदि इलाकों की भी सीधी राष्ट्रीय राजधानी से कनेक्टिविटी हो जाएगी। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि झज्जर को मल्टी-डायरेक्शनल कनेक्टिविटी मिलने के बाद यह एनसीआर का महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन बन सकता है। औद्योगिक निवेश और माल ढुलाई की दृष्टि से यह सबसे तेज उभरता क्षेत्र बन सकता है।
नया सर्वे पूरी परियोजना की किस्मत
इस बार सर्वे में तीन प्रमुख बातें रेलवे के फोकस में हैं। पहला है फ्रेट पोटेंशियल यानी दादरी में प्रस्तावित डीएफसी (समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर) की निकटता परियोजना को बेहद उपयोगी बनाती है। नया सर्वे यह मापेगा कि दक्षिण हरियाणा से निकलने वाला औद्योगिक माल इस लाइन को कितना लाभ दे सकता है। दूसरा, हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर की तर्ज पर यह परियोजना पीपीपी मॉडल पर टिकाऊ बन सकती है। एचआरआईडीसी को इसमें बड़ी भूमिका मिल सकती है। इसी तरह, झज्जर-बादली-बहादुरगढ़-गुरुग्राम बेल्ट में तेज शहरीकरण को देखते हुए यात्री लोड के बढ़ने की संभावना है। रेलवे पहली बार इन तीनों पहलुओं को प्राथमिकता में शामिल कर रहा है, जो इस परियोजना की दिशा बदलने वाला कदम माना जा रहा है।
डीपीआर के बाद अगला कदम
सरकारी सूत्र बताते हैं कि कि नयी डीपीआर ही निर्णायक दस्तावेज होगी। इसी के आधार पर रेल मंत्रालय इसे आगामी रेल बजट में शामिल करने पर फैसला करेगा। यानी अब खेल तीन चरणों में है। नयी सर्वे रिपोर्ट, विस्तृत डीपीआर और रेल बजट में प्रवेश। और एक बार यह बजट में शामिल हो गया, तो ट्रैक बिछने में समय भले लगे पर परियोजना पटरी से उतर नहीं पाएगी।
सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि फरुर्खनगर–झज्जर–दादरी–लोहारू रेल लाइन सिर्फ एक ट्रैक नहीं, बल्कि दक्षिण हरियाणा के भविष्य से जुड़ा बुनियादी ढांचा है। मुझे खुशी है कि वर्षों से लंबित इस परियोजना के सर्वे को रेलवे ने फिर से मंजूरी दे दी है। यह सर्वे पूरी तरह नयी परिस्थितियों के आधार पर होगा और इसके बाद डीपीआर तैयार की जाएगी। हम प्रयासरत हैं कि यह रेल लाइन आगामी रेल बजट में शामिल हो और इसका निर्माण जल्द शुरू कराया जाए। यह कॉरिडोर दिल्ली को सीधे गुजरात के प्रमुख बंदरगाहों से जोड़ेगा। मैं आश्वस्त करता हूं कि इस परियोजना को मंजिल तक पहुंचाने में कोई कमी नहीं रहने दूंगा।
