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संघ में घोष केवल वादन या मनोरंजन नहीं, बल्कि एक साधना : आलोक कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा वैश्य कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय हरिनाद घोष वर्ग का रविवार को भव्य रूप से समापन हुआ। शिविर में मुख्य वक्ता के तौर पर आरएसएस के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने तथा मुख्यातिथि के तौर...
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा वैश्य कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय हरिनाद घोष वर्ग का रविवार को भव्य रूप से समापन हुआ। शिविर में मुख्य वक्ता के तौर पर आरएसएस के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने तथा मुख्यातिथि के तौर पर सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर संदीप चौधरी ने शिरकत की। शिविर में 400 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और घोष साधना के माध्यम से अनुशासन, एकता एवं राष्ट्रभक्ति का अद्वितीय अनुभव प्राप्त किया। इस अवसर पर क्षेत्र शारीरिक प्रमुख हेमराज, संस्कार भारती के त्रिक्षेत्र संगठन मंत्री विजय कुमार, हरियाणा प्रांत के प्रांत संघचालक प्रताप सिंह, सह प्रांत कार्यवाह प्रीतम कुमार, रोहतक जिला संघचालक देवेंद्र गोयल, पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यू, अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी पहलवान योगेश्वर दत्त भी मौजूद रहे।

संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संघ में घोष केवल वादन या मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह एक साधना है, जो मनुष्य को अनुशासन, समन्वय और राष्ट्रहित से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि जब सभी मिलकर एक साथ चलते हैं तो केवल कदम ही नहीं, बल्कि मन भी एक हो जाते हैं। यही घोष साधना का उद्देश्य है- राष्ट्र को एक दिशा में, एक मन होकर आगे बढ़ाना। आलोक कुमार ने कहा कि घोष केवल संगीत का माध्यम नहीं, बल्कि यह वीरता, पराक्रम और राष्ट्रनिर्माण की भावना का प्रतीक है।

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मुख्यातिथि ब्रिगेडियर संदीप चौधरी घोष ने कहा कि मैं स्वयंसेवकों के इस प्रदर्शन को शब्दों में बयान नहीं कर सकता। 100 साल से मेरे परिवार की तीन पीढ़ियां फौज के माध्यम से देश सेवा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि संघ में रहकर स्वयंसेवकों में राष्ट्रीय एकता, अनुशासन व चरित्र निर्माण होता है।

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