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पूर्व मंत्री त्रिखा ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 119वीं जयंती मनाई

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 119वीं जयंती पर पूर्व शिक्षा मंत्री एवं बडखल से विधायक सीमा त्रिखा ने शनिवार को समाज के विभिन्न वर्गों और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ शहीद भगत सिंह चौक, एनआईटी-5 गोल चक्कर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग...

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फरीदाबाद में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करतीं पूर्व शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा। - हप्र
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शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 119वीं जयंती पर पूर्व शिक्षा मंत्री एवं बडखल से विधायक सीमा त्रिखा ने शनिवार को समाज के विभिन्न वर्गों और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ शहीद भगत सिंह चौक, एनआईटी-5 गोल चक्कर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की प्रतिमाओं की साफ-सफाई की, उन्हें दूध से स्नान कराया और श्रद्धासुमन अर्पित किए। सभी उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को याद किया।इस मौके पर सीमा त्रिखा ने कहा कि शहीद भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर (वर्तमान पाकिस्तान) में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के जीवन और सोच पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भारत की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की।

इसके बाद भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में गठित गदर दल का हिस्सा बन गए। काकोरी कांड में राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों को फांसी और 16 अन्य को जेल की सजा मिलने के बाद भगत सिंह ने आजाद के साथ उनकी पार्टी से जुड़कर उसे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का नया नाम दिया।

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इसका उद्देश्य सेवा, त्याग और कठिनाइयों को सहने वाले नवयुवकों को तैयार करना था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स की हत्या की थी। इसके बाद उन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर 8 अप्रैल 1929 को ब्रिटिश भारत की संसद भवन में बम और पर्चे फेंकने की कार्रवाई की और स्वयं गिरफ्तारी दी।

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