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बूचड़खानों के खिलाफ वन विभाग ने नांगल मुबारिकपुर के दो प्लांट का रास्ता किया बंद

जैसे ही विधानसभा में मेवात के अवैध बूचड़खाने चलाए जाने के मुद्दे उठाए गए प्रशासन भी हरकत में आ गया इससे पहले कई माह से समाजसेवी इस बारे में आवाज उठा रहे थे लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई बल्कि...
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मंगलवार को नांगल मुबारिकपुर में बने बूच़डखानों के रास्ते को काटते वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी । -हप्र
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जैसे ही विधानसभा में मेवात के अवैध बूचड़खाने चलाए जाने के मुद्दे उठाए गए प्रशासन भी हरकत में आ गया इससे पहले कई माह से समाजसेवी इस बारे में आवाज उठा रहे थे लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई बल्कि लीपा पोती की गई। मेवात क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित बूचड़खानों के खिलाफ अब वन विभाग ने कड़ा संज्ञान लिया है। लगातार सोशल मीडिया और मेवात संघर्ष समिति द्वारा उठाई जा रही आवाज के बाद वन विभाग ने मांडीखेड़ा से नांगल मुबारिकपुर रोड पर बने दो बूचड़खानों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 4 फीट गहरी और 3 फुट चौड़ी और 10 से 15 फुट लंबी खाई खुद कर रास्ते को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया।

जानकारी के अनुसार, इन बूचड़खानों द्वारा फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के तहत आवश्यक एनओसी नहीं ली गई थी। इस पर विभाग की टीम ने बूचड़खानों के सामने तक जाने वाले रास्ते को ही अवरुद्ध कर दिया। लगभग 4 फीट गहरी और 3 फीट चौड़ी, करीब 10–15 फीट लंबी खाई खोदकर इस मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। अधिकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि बिना एनओसी के यह रास्ता दोबारा नहीं खोला जा सकता। यदि बूचड़खाने संचालक रास्ते को भरकर पुनः चालू करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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वन विभाग ने संबंधित संचालकों को नोटिस भी जारी कर दिया है और जल्द से जल्द नियमों के अनुसार अनुमति लेने के निर्देश दिए हैं। इधर, क्षेत्र में लंबे समय से बूचड़खानों को बंद कराने की मांग उठ रही है। मेवात संघर्ष समिति और कई समाजसेवी संगठन इस आंदोलन को जारी रखने के पक्ष में हैं। हालांकि सूत्रों का मानना है कि राजनीतिक दबाव के चलते यह मुद्दा प्रभावित हो सकता है, लेकिन स्थानीय सामाजिक संगठन से जुड़े लोग और इलाके के भविष्य को देखते हुए जिम्मेदार नागरिक इसे आर-पार की लड़ाई बताते हुए पीछे हटने के मूड में नहीं हैं।

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