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हमारे लिए एक दिन नहीं, हर दिन होता है हिंदी दिवस : डॉ. मनोज

समीपवर्ती राजस्थान राज्य के गांव बड़ी पचेरी स्थित सिंघानिया विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस उत्साह और गरिमा से मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से आए प्रमुख कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं...
नारनौल के सिंघानिया विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कवियों को सम्मानित करते डॉ. मनोज कुमार। - निस
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समीपवर्ती राजस्थान राज्य के गांव बड़ी पचेरी स्थित सिंघानिया विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस उत्साह और गरिमा से मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से आए प्रमुख कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं सांस्कृतिक संकाय अधिष्ठाता डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने की और संचालन डॉ. आरती प्रजापति ने किया। इस मौके पर बतौर मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि ‘हिंदी हमारे रोम-रोम में बसी है। हमारे लिए केवल एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन ही हिंदी दिवस है।’ डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने अपने वक्तव्य में हिंदी को राजकाज की भाषा बनाने पर बल दिया और दोहा-पाठ प्रस्तुत किया। उनका दोहा—“वट-पीपल के देश में पूजित आज कनेर, बूढ़ा बरगद मौन है देख समय का फेर” विशेष रूप से सराहा गया। कवि-सम्मेलन में भिवानी के गीतकार डॉ. रमाकांत शर्मा ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीत प्रस्तुत कर वातावरण गूंजा दिया। अलवर से आए प्रवेंद्र पंडित ने “ठगी-ठगी रह गई सिसकती मन की बंदनवार” जैसे गीतों से तालियां बटोरीं। गुरुग्राम के कवि राजपाल यादव ‘राज’ ने हिंदी को “माँ का प्यार” बताया, जबकि नोएडा की कवयित्री डॉ. पूजा सिंह गंगानिया और दिल्ली की शुभ्रा पालीवाल ने भी प्रभावी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। करीब दो घंटे तक चले इस कवि-सम्मेलन के समापन पर सभी कवियों को शॉल, सम्मान-पत्र और स्मृति-चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिकारी, स्टाफ सदस्य और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। हिंदी दिवस पर छात्रों द्वारा काव्य-पाठ, निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं तथा भारतेंदु हरिश्चंद्र के प्रसिद्ध नाटक ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ का मंचन भी किया गया।

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