Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

बिजली टावरों के मुआवजे को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन, डीसी को सौंपा ज्ञापन

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बिजली के टावरों के लिए मुआवजा नीति लागू किए जाने के बावजूद जिले में इसे लागू न किए जाने के विरोध में आज भारतीय किसान कामगार अधिकार मोर्चा के बैनर तले किसानों ने लघु सचिवालय...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
नारनौल में मंगलवार को बिजली टावरों के मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन करते किसान। -हप्र
Advertisement

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बिजली के टावरों के लिए मुआवजा नीति लागू किए जाने के बावजूद जिले में इसे लागू न किए जाने के विरोध में आज भारतीय किसान कामगार अधिकार मोर्चा के बैनर तले किसानों ने लघु सचिवालय नारनौल में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद किसानों ने अपनी मांगों से जुड़ा ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतेंद्र लोहचब ने बताया कि जिले के 17 से अधिक गांवों के किसान इस आंदोलन में शामिल हुए।

लोहचब ने कहा कि किसानों की जमीनों में 33 हजार वोल्टेज की बिजली लाइन बिछाई जा रही है, जिसके लिए बड़े-बड़े खंभे खेतों के बीच में लगाए जा रहे हैं। इससे न केवल खेती योग्य जमीन खराब हो रही है, बल्कि किसानों को कोई उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा। गांव पाटोदा के किसान रामनिवास ने बताया कि सरकार की नीति के बावजूद 2 जुलाई 2025 के बाद से मार्केट कमेटी या पावर ग्रिड विभाग ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। किसानों को मुआवजा नहीं मिल रहा, जबकि खेतों में खंभों और टावरों के कारण भारी नुकसान हो रहा है। गांव बचीनी के किसान हरिराम ने बताया कि खेतों के बीच में गड़े टावरों के कारण खेती करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ भूमि के ऊपर से गुजरने वाली लाइन की वजह से करीब 67 मीटर का एरिया खेती के लिए अनुपयोगी हो जाता है। ऐसे में यदि प्रशासन ने शीघ्र उचित कदम नहीं उठाए, तो किसान आंदोलन को और तेज करने पर मजबूर होंगे।

Advertisement

‘नीति बनी, लेकिन अमल नहीं’

Advertisement

सतेंद्र लोहचब ने बताया कि किसानों के आंदोलन के बाद सरकार ने ऐसी स्थिति के लिए मुआवजा नीति बनाई है। परंतु, महेंद्रगढ़ जिला प्रशासन द्वारा इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। न तो कोई स्पष्ट सर्कल रेट तय किया गया है और न ही किसी किसान को मुआवजा मिला है।

Advertisement
×