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नैनो डीएपी के प्रति बढ़ रहा किसानों का रुझान

अब किसानों का रुझान नैनो डीएपी की तरफ बढ़ने लगा है। नैनो डीएपी से बीजोपचार करना लाभदायक माना जाता है। गत वर्ष की तुलना में इस बार नैनो डीएपी की बिक्री में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डीएपी की...

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अब किसानों का रुझान नैनो डीएपी की तरफ बढ़ने लगा है। नैनो डीएपी से बीजोपचार करना लाभदायक माना जाता है। गत वर्ष की तुलना में इस बार नैनो डीएपी की बिक्री में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डीएपी की डिमांड सबसे ज्यादा गेहूं की फसल में होती है।कृषि विशेषज्ञों के अनुसार नैनो डीएपी 5 एमएल प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार किया जा सकता है। उपचार किए गए बीज का उगाव जल्दी होता है। इसकी अंकुरण क्षमता भी ज्यादा रहती है। पौधा स्वस्थ रहता है। साथ में दानेदार डीएपी/एनपीके (12.32.16) की प्रयोग मात्रा को आधा तक कम किया जा सकता है।

कृषि वैज्ञानिक खड़ी फसलों में ऊपर से दानेदार डीएपी देने की सिफारिश नहीं करते हैं, क्योंकि इससे फसलों को फास्फोरस पोषक तत्व नहीं मिलता। केवल नाइट्रोजन पोषक तत्व फसलों को मिलता है, जो कि यूरिया से मिल जाता है। खड़ी फसलों में दानेदार डीएपी की जगह नैनो डीएपी 5 एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से कुल 100 लीटर का स्प्रे बुवाई के 35 से 40 दिनों बाद करने से ज्यादा फायदा होता है।

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इस बार रबी सीजन में गेहूं बिजाई को लेकर जिले भर में किसान डीएपी खाद की उपलब्धता को लेकर इधर-उधर घूम रहे हैं वही दूसरी और जिले के प्रगतिशील किसान नैनो डीएपी (तरल) का बीज उपचार के रूप में इस्तेमाल कर फसल का अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। यह दानेदार डीएपी से आधी कीमत में मिल रहा।

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इफ्को के क्षेत्र प्रबंधक हितेंद्र सिंह ने कहा कि तरल नैनो डीएपी की 500 एमएल की कीमत 600 रुपये है। नैनो डीएपी में नाइट्रोजन व व फासफोरस तत्व होते हैं। नाइट्रोजन पौधों की बढ़वार, तना व पत्तों के लिए तथा फासफोरस जड़ों के विकास के लिए महत्वपुर्ण होता है। दानेदार डीएपी खाद खेत में डालते हैं तो पौधे की जड़ें काफी कम मात्रा में उसे ग्रहण कर पाती हैं, जबकि नैनो डीएपी को बीज उपचार या स्प्रे के द्वारा दिया जाता है, जिससे नाइट्रोजन व फासफोरस की कार्य क्षमता 90 फीसदी से भी अधिक होती है साथ ही रसायनों का दुष्प्रभाव जमीन के ऊपर नहीं होता है।

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