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यमुना में बाढ़ से किसानों के समक्ष आर्थिक संकट

यमुना नदी में आई बाढ़ से पलवल जिला के किसानों के चेहरे मायूस दिखाई दे रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार बाढ़ के चलते जिला में करीब 18 हजार एकड़ में खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं, जिससे किसानों के...
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यमुना नदी में आई बाढ़ से पलवल जिला के किसानों के चेहरे मायूस दिखाई दे रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार बाढ़ के चलते जिला में करीब 18 हजार एकड़ में खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं, जिससे किसानों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है। बाढ़ का पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है, हालांकि विभाग का कहना है कि पानी कम होने लगा है, लेकिन किसानों का कहना है कि आज भी उनकी फसलें डूबी हुई हैं।

वहीं हरियाणा के खेल राज्यमंत्री गौरव गौतम, मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार रहे पलवल के पूर्व विधायक दीपक मंगला, होडल के विधायक हरेन्द्र रामरतन ने बाढग़्रस्त इलाकों का दौरा कर मौके पर ही किसानों को आश्वास्त किया है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार आपदा की इस घडी में किसानों के साथ खडी है और किसानों के लिए क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला हुआ है, उनकी हर संभव मदद की जाएगी। वहीं जिला के डीसी डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ, पलवल की एसडीएम ज्याति व जिला के एसपी वरूण सिंगला निरंतर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर किसानों की मदद के लिए दौरा कर रहे हैं लेकिन किसान सरकार द्वारा घोषित आर्थिक मदद से खुश नहर नहीं आ रहे हैं और फसल खराबे पर प्रति एकड 15 हजार रुपए मुआवजा देने की सरकार की घोषणा से किसान नाराज हैं। जिसके चलते संयुक्त किसान मोर्चा ने इस मुआवजे को ऊंट के मुंह में जीरा बताते हुए खारिज कर दिया है और आगामी 10 और 11 सितंबर को उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

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बता दें कि जिले के बागपुर खादर से यूपी बॉर्डर तक यमुना नदी 45.2 किलोमीटर में बहती है। बाढ़ आने से जिले के किसानों की करीब 20 हजार एकड़ में खड़ी सबसे अधिक धान की फसल, कपास, सब्जियां, ज्वार, ईख व अन्य फसलें यमुना के पानी में जलमग्न हो गई हैं। किसानों ने सरकार व प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगाई है। यमुना किनारे बसे सुल्तापुर गांव के किसान ज्ञानचंद ने बताया कि उनकी 20 एकड़ में धान की फसल थी, जो पिछले एक सप्ताह से यमुना में पानी बढऩे से जलमग्न हो चुकी है। ज्ञानचंद ने कहा कि इतना समय हो चुका है, अब तो फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी होगी। कुशक गांव के किसान रामबीर ने बताया कि उसने दस एकड़ में धान की और दो एकड़ में पशुओं के चारे के लिए ज्वार की फसल बोई हुई थी, जो यमुना के बहाव में डूब चुकी है। इंदिरा नगर गांव के जोगेंद्र ने बताया कि उनकी फसल तो डूबी सो डूबी, उनके गांव को जाने वाला रास्ता भी पानी में डूबने से गांव से संपर्क खत्म हो गया। वहीं जिले के मोहबलीपुर व इंदिरानगर दोनों गांवों के चारों तरफ यमुना का पानी भरने से गांवों का संपर्क खत्म हो चुका है। जिला प्रशासन ने दोनों गांवों के लोगों के लिए अच्छेजा व खटका गांव के सरकारी व निजी स्कूलों में सेफ होम बनाकर उन्हें गांवों से पहले ही शिफ्ट करा दिया था।

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