आतंकवाद, ड्रग्स जैसी चुनौतियों से निपटने में हर वर्ग बने सहयोगी : मनोहर लाल
उन्होंने कहा कि भारत की आंतरिक सुरक्षा कई आयामों से प्रभावित होती है और इसे समझना केवल पुलिस या प्रशासन का काम नहीं है, बल्कि आम नागरिक की भी जिम्मेदारी है। आतंकवाद, नक्सलवाद, ड्रग्स और अवैध घुसपैठ जैसी चुनौतियों से तभी निबटा जा सकता है, जब समाज का हर वर्ग सजग और सहयोगी बने। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कश्मीर, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर उग्रवाद जैसी चुनौतियों पर काफी हद तक नियंत्रण पाया है, लेकिन इसमें युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। वे केवल परीक्षा की दृष्टि से इस पुस्तक को न पढ़ें, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को समझकर अपने जीवन में अनुशासन और जिम्मेदारी अपनाएं।
पुस्तक के लेखक अशोक कुमार ने बताया कि यह पुस्तक कश्मीर, नक्सलवाद और आतंकवाद जैसे संवेदनशील विषयों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि कि राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल पुलिस या सेना पर नहीं छोड़ी जा सकती। यही कारण है कि यह पुस्तक यूपीएससी अभ्यर्थियों की पहली पसंद बनी और व्यापक चर्चा का विषय रही। सातवें संस्करण की विशेषता यह है कि इसमें विषय को सीधे समसामयिक घटनाओं से जोड़ा गया है।
समारोह में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध) देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने सुरक्षा के बदलते स्वरूप पर अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए। इस मौके पर मैकग्रा हिल इंडिया के प्रबंध निदेशक ललित सिंह, हंसराज कॉलेज की प्राचार्य प्रो़ (डॉ़) रमा, हरियाणा के पूर्व डीजीपी मनोज यादव, आरपीएफ उत्तराखंड के पूर्व आईपीएस एसके भगत, फॉर्मर डीजी नमामी गंगे जी़ अशोक, बीएसएफ फॉर्मर आईजी एसपी सिंह, आईपीएस डॉ़ राजेश मोहन, डॉ़ प्रभांसु ओझा सहित बड़ी संख्या में विद्वानों, शिक्षाविदों, पुलिस अधिकारियों और छात्रों ने भाग लिया।