दो महीने बाद भी नहीं हुई गिरफ्तारी, अस्पताल भवन अब भी कब्जे में, लोगों में रोष
गुरुग्राम के पटौदी उपखंड के अंतर्गत गांव बोड़ा कला में धार्मिक संपत्ति पर अवैध कब्जे का एक गंभीर मामला लगातार सुर्खियों में है। महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी महाराज द्वारा संचालित अस्पताल भवन को कुछ लोगों ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से एक संस्था को किराए पर दे दिया। 26 मई 2025 को इस संबंध में बिलासपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन दो महीने बीतने के बावजूद न तो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, और न ही अस्पताल भवन खाली कराया गया है। इस मामले में गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर विकास अरोड़ा ने पटौदी के एसीपी और थाना प्रभारी को कई बार फोन कर तत्काल प्रभाव से कब्जा हटवाने के निर्देश दिए। इसके बावजूद आज तक अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। इससे साफ है कि पुलिस प्रशासन पर किसी राजनीतिक या आर्थिक दबाव का असर है, या फिर कहीं न कहीं गहरी सांठगांठ है।
दो महीने से जांच चल रही है
गौरतलब है कि एफआईआर में यह स्पष्ट रूप से दर्ज है कि फर्जी हस्ताक्षर कर अस्पताल भवन को किराए पर दिया गया, फिर भी पुलिस दो महीने से केवल जांच ही कर रही है। ग्रामीणों को संदेह है कि जांच जानबूझकर लटकाई जा रही है ताकि कब्जाधारियों को समय मिल सके। स्वामी ज्योति गिरी महाराज ने प्रशासन से मांग की है कि:तुरंत प्रभाव से अस्पताल भवन को खाली कराया जाए। जिन लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भवन को किराए पर दिया है, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए। पुलिस अधिकारियों की निष्क्रियता की जांच भी की जाए।
मुख्यमंत्री के आदेश भी हवा में
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी स्वयं इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में ग्रामीणों से मुलाकात के दौरान आश्वासन दे चुके हैं कि भवन को तुरंत खाली कराया जाएगा और दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा। लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी उनके आश्वासन पर अमल नहीं हो सका, जिससे जनता में निराशा है और सरकार की साख पर भी सवाल उठने लगे हैं। गांव के महेश ठेकेदार ने कहा, ‘देश एक है लेकिन कानून दो हैं – गरीबों के लिए सख्त और अमीरों के लिए ढीला। अगर कोई गरीब चम्मच भी चुरा ले तो तुरंत गिरफ्तार हो जाता है, लेकिन यहां तो पूरा अस्पताल भवन फर्जी दस्तावेजों से किराए पर दे दिया गया, और दो महीने में भी गिरफ्तारी नहीं हुई।’ वहीं, राम भूल सिंह ने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री और पुलिस कमिश्नर से कई बार मिले, लेकिन नतीजा शून्य है। ऐसा लगता है जैसे ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ वाली कहावत बिलासपुर पुलिस पर सटीक बैठती है।’ इस पूरे मामले में जब बिलासपुर थाना प्रभारी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने खुद को बाहर बताया और जांच अधिकारी रमेश गुलिया से बात करने की सलाह दी। जांच अधिकारी ने बताया कि पटौदी एसडीएम द्वारा पहले 28 जुलाई को भवन खाली कराने की तिथि तय की गई थी, जिसे अब 18 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया जांच पूरी होने के बाद ही होगी।