हरियाणा की एक पावर कंपनी द्वारा 346 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने दिल्ली-एनसीआर, चेन्नई और बेंगलुरु में एक साथ 9 ठिकानों पर छापेमारी की। धन शोधन के इस मामले में गुरुग्राम स्थित हाइथ्रो पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और इसके निदेशक अमूल गबरानी व अजय कुमार बिश्नोई निशाने पर हैं। फिलहाल यह कंपनी बंदी की कगार पर है। सूत्रों के अनुसार ईडी की टीमों ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 5 परिसरों, चेन्नई में 3 स्थानों और बेंगलुरु में 1 जगह तलाशी ली। यह कार्रवाई ईडी के गुरुग्राम कार्यालय के नेतृत्व में की गई।
चार बैंकों को नुकसान
इस मामले में चार प्रमुख बैंकों को भारी नुकसान हुआ है। पंजाब नेशनल बैंक को 168.07 करोड़, आईसीआईसीआई बैंक को 77.81 करोड़, यूनियन बैंक को 55.71 करोड़ और कोटक महिंद्रा बैंक को 44.49 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जांच के अनुसार यह धोखाधड़ी 2009 से 2015 के बीच की गई। एचपीसीएल एक विद्युत पारेषण और वितरण कंपनी है जो ट्रांसमिशन लाइनों के टर्नकी प्रोजेक्ट्स में काम करती थी।
क्या है पूरा मामला
कंपनी के प्रमोटर्स ने पीएनबी के नेतृत्व वाले बैंक कंसोर्टियम से 165.71 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा ली थी। आरोप है कि इस राशि को संबद्ध कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया गया। कई बार पुनर्गठन के बावजूद कंपनी ने अपनी देनदारियां नहीं चुकाईं।
एनपीए से फ्रॉड तक का सफर
31 मार्च 2015 को एचपीसीएल को एनपीए घोषित किया गया। इसके बाद 13 जून 2024 को आरबीआई के पास फ्रॉड की रिपोर्ट भेजी गई। फरवरी 2025 में सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसके बाद अब ईडी ने पीएमएलए के तहत कार्रवाई की है। यह मामला भारतीय बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते वित्तीय अपराधों और एजेंसियों की सख्त कार्रवाई को दर्शाता है।