आयुर्वेद के चलते कटने से बचा गैंगरीन पीड़ित का पैर
रोहित विद्यार्थी/निस
बहादुरगढ़, 18 जून
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से इलाज के चलते 68 वर्षीय गैंगरीन पीड़ित मरीज का पैर कटने से बच गया। जबकि दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में काफी उपचार के बावजूद डॉक्टरों ने संक्रमण रोकने के लिए मरीज का पैर काटने की सलाह दी थी। मरीज द्वारा दवा लेने के कारण सर्जरी की प्रक्रिया को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया गया था। इस बीच परिजनों को सोशल मीडिया के माध्यम से गैंगरीन का आयुर्वेद पद्धति से उपचार कर रहे डॉ. गौरव अग्रवाल के बारे में पता चला। वे मरीज को लेकर डॉ. गौरव अग्रवाल के पास पहुंचे और इलाज शुरू किया। 7 दिनों के भीतर ही मरीज की रिकवरी शुरू हो गई। लंबे समय से मधुमेह के रोगी रहे रविंद्र दत्त ने बताया कि उनके पैर में गैंगरीन के कारण गंभीर घाव हो गया था। दिल्ली में एक बड़े अस्पताल अस्पताल में काफी उपचार के बावजूद डॉक्टरों ने निष्कर्ष निकाला कि उनका पैर काटना अनिवार्य था। इस दौरान उन्हें डॉ. गौरव अग्रवाल के बारे में पता चला।
उन्होंने डॉ. अग्रवाल से परामर्श लेकर उपचार शुरू किया। 7 दिनों के भीतर ही उनकी रिकवरी शुरू हो गई। अब उपचार के केवल सवा महीने बाद वह स्वतंत्र रूप से चलने लगे हैं और डॉ. अग्रवाल के पास फॉलो-अप के लिए मेट्रो से ही आते-जाते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. गौरव अग्रवाल ने मुझे जीवन का दूसरा मौका दिया है। मैं उनका हमेशा आभारी रहूंगा।
मिल चुके कई पुरस्कार
डॉ गौरव अग्रवाल शहर के जाने माने उद्यमी हैं। उन्होंने एक आयुर्वेदिक दवा विकसित की है जो उच्च रक्त शर्करा को नियंत्रित करती है और इसकी जटिलताओं को दूर करती है। उनकी दवा गैंगरीन रोगियों को अंग-विच्छेदन से बचने और अपनी गतिशीलता वापस पाने में भी मदद करती है। उनके मरीजों में देश के प्रतिष्ठित लोग जिनमें मंत्री, उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी, वकीलों सहित विदेश से भी शुगर व गैंगरीन के रोगी शामिल हैं। उन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं।