डिजास्टर मैनेजमेंट पर लगा ताला , सिविल अस्पताल जींद में एंबुलेंस फंस रही जाम में
ऑटो-ई रिक्शा चालकों की मनमानी से अस्पताल प्रशासन बेबस, अब स्वास्थ्य विभाग करेगा कार्रवाई
जींद के सिविल अस्पताल में डिजास्टर मैनेजमेंट व्यवस्था पर पिछले लगभग एक साल से ताला लगा हुआ है। यह ताला किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि खुद अस्पताल प्रशासन ने ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की मनमानी से परेशान होकर लगाया है। इस कदम ने अब आपात स्थिति में अस्पताल की सुरक्षा और राहत व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल, सिविल अस्पताल के राजकीय पीजी कॉलेज के सामने बना मुख्य गेट—जो एंट्री और एग्जिट दोनों के लिए बनाया गया था—लगातार ऑटो और ई-रिक्शा चालकों के कब्जे में रहता था। वाहनों की अव्यवस्था से एंबुलेंस को भीतर आने-जाने में भारी दिक्कत होती थी। कई बार गंभीर मरीजों को लाने या पीजीआई रोहतक व खानपुर कलां रेफर करने वाली एंबुलेंस जाम में फंस जाती थी। मजबूर होकर प्रशासन ने इस गेट पर ताला जड़ दिया, लेकिन यही कदम डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए “लॉक” साबित हो गया।
वर्तमान में अस्पताल में आने-जाने का सारा ट्रैफिक पुराने और तंग गेट से होता है, जिससे आए दिन जाम की स्थिति बनती है। किसी बड़ी आपात स्थिति में यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है, क्योंकि डिजास्टर मैनेजमेंट के नियमों के तहत प्रत्येक बड़े सार्वजनिक स्थल पर दो खुले गेट अनिवार्य हैं।
स्वास्थ्य विभाग के बिल्डिंग प्रभारी डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. रमेश पंचाल ने बताया कि जल्द ही इस गेट का ताला खुलवाया जाएगा। इसके लिए पुलिस की मदद से ऑटो और ई-रिक्शा चालकों को हटवाने की कार्रवाई की जाएगी, ताकि अस्पताल की एंट्री और एग्जिट दोनों गेट सामान्य रूप से कार्य कर सकें।

