हरियाणवी सांग कला के विकास और उसके प्रचार-प्रसार में गांव जैतड़ावास निवासी प्रसिद्ध सांग सम्राट व लोक कवि मास्टर नेकीराम व उनके परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
नगर परिषद ने शहर के अनाज मंडी तिराहे से शाहजहांपुर की ओर जाने वाले मार्ग का नामकरण सांग सम्राट नेकीराम मार्ग करने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया है। मास्टर नेकीराम साहित्य कला मंच की मांग है कि उनके नाम पर हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला द्वारा साहित्यिक पुरस्कार, आईजीयू मीरपुर में चेयर तथा उनके गृह जिला में किसी प्रमुख चौक का नामकरण किया जाए।
6 अक्तूबर, 1915 में प्रसिद्ध संगीताचार्य मास्टर मूलचन्द व लाडो देवी के घर जन्मे मास्टर नेकीराम ने अपने पिता का अनसरण करते हुए सांग कला को विरासत के रूप में ग्रहण किया और अपने गुरु व शामधा (अलवर) स्थित बाबा गरीब नाथ मंदिर के तत्कालीन महंत महाराज गोपाल नाथ के आशीर्वाद से इसे ऐसी गति दी कि वह सांग इतिहास में एक मिसाल बन गई। हरियाणा के साथ-साथ समूचे अहीरवाल और राजस्थान के दूर दराज के क्षेत्रों में आज भी नेकीराम को सांग सम्राट रूप में याद किया जाता है। उन्होंने हजारों लौकिक रचनाओं और 3 दर्जन से भी अधिक हरियाणवी सांगों का सृजन करते हुए उनका 60 वर्षों तक निरंतर मंचन किया। आज भी नेकीराम के घराने को दक्षिण हरियाणा का एक प्रमुख सांग घराना माना जाता है।
मास्टर नेकीराम की विशेषता यह थी कि जैसे-जैसे रात बढ़ती थी, वैसे-वैसे उनकी आवाज भी बढ़ती चली जाती थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी राष्ट्रीय एवं जन जागृति के लिए योगदान दिया। 60 वर्षों तक सांग मंचन करने के बाद 10 जून, 1996 को उनका निधन हो गया।