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लगातार बारिश से याद आई 1995 की बाढ़

जींद जिले में पिछले 3 दिन से रुक- रुक कर हो रही बारिश अब लोगों और खासकर किसानों को बुरी तरह डराने लगी है। लोगों को इस बारिश ने 1995 की भयावह बाढ़ की कड़वी यादें फिर ताजा करवा दी...
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जींद जिले में पिछले 3 दिन से रुक- रुक कर हो रही बारिश अब लोगों और खासकर किसानों को बुरी तरह डराने लगी है। लोगों को इस बारिश ने 1995 की भयावह बाढ़ की कड़वी यादें फिर ताजा करवा दी हैं। यह अलग बात है कि अभी तक जींद जिले में बाढ़ जैसी स्थिति नहीं बनी है, और जान-माल को किसी तरह का बड़ा खतरा नहीं है। इसमें जींद प्रशासन भी बाढ़ और उससे होने वाले नुकसान के बीच मजबूत ढाल बनकर खड़ा है। पिछले तीन दिन से जींद जिले में बारिश लगातार हो रही है। यह बारिश कभी बूंदाबांदी के रूप में हो रही है, तो बीच में तेज बारिश दस्तक दे रही है। 29 और 31 अगस्त तथा 1 सितंबर को जींद जिले में लगभग 150 एमएम बारिश हो चुकी है। मंगलवार को भी जुलाना में तेज बारिश हुई। लगातार हो रही बारिश ने जींद के लोगों को अब 1995 की उस भयावह बाढ़ की कड़वी यादों को ताजा करवा दिया है, जब जींद जिला बाद में बुरी तरह से बर्बाद हो गया था। 1995 में भी 1 सितंबर से 3 सितंबर तक लगातार तेज बारिश जींद जिले में हुई थी। तब जींद जिले के 300 से ज्यादा गांवों में से मुश्किल से 50 गांव ऐसे बचे थे, जिनकी आबादी में बरसाती पानी नहीं भरा था। इन गांवों को भी बरसाती पानी से बचाने में 1987 में तत्कालीन सीएम चौधरी देवीलाल द्वारा गांव के चारों तरफ बनवाई गई रिंग बांधों की अहम भूमिका थी, जिन्हें 1987 में पड़े अकाल के समय काम के बदले अनाज योजना के तहत बनवाया गया था। 1995 में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के पैतृक गांव डूमरखां कलां में बाढ़ से हालात इतने भयावह हो गए थे कि कई घरों की पहली मंजिल की छत भी पानी में डूब गई थी। हालात संभालने के लिए हिसार से सेना को जींद में बुलाना पड़ा था। फसलों के नाम पर 1995 में जींद जिले में कुछ भी नहीं बचा था। हालत यह हो गई थी कि जींद जिले की कृषि योग्य आधी से ज्यादा जमीन में गेहूं और रबी की दूसरी फसलों की बिजाई नहीं हो पाई थी। 1995 की बाढ़ में सबसे ज्यादा नरवाना और जुलाना उपमंडल तबाह हुए थे।

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