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Haryana News : जान से जरूरी कमीशन : बीके सिविल अस्पताल से रेफर मरीजों को निजी में पहुंचा रहे एंबुलेंस चालक

सिविल सर्जन ने आदेश जारी कर ऐसे लोगों से दूर रहने की हिदायतें की जारी
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फरीदाबाद के बीके सिविल अस्पताल की इमरजेन्सी का दृश्य। - हप्र
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राजेश शर्मा/हप्र

फरीदाबाद, 1 मार्च

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फरीदाबाद जिले के नागरिक सिविल अस्पताल मेें घूमने वाले दलालों पर सीएमओ की तरफ से कठोर कार्यवाही के आदेश जारी किए गए हैं लेकिन इन आदेशों का तब तक कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जब तक अस्पताल से मरीजों को रेफर करने के मामले समाप्त नहीं होंगे। ऐसा इसलिए है, क्योंकि दिल्ली रेफर किए जा रहे मरीजों में से 50 प्रतिशत को एंबुलेंस और ऑटो चालक मोटा मुनाफा कमाने के लिए शहर के निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों मेें छोड़ रहे हैं। इसके बदले अस्पताल संचालकों से उन्हें मोटा पैसा मिलता है। सिविल सर्जन अशोक कुमार की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि स्टाफ सदस्य, डॉक्टर्स सज्ञान लें और दलालों को अंदर घूमने से रोके अन्यथा उन डॉक्टर्स और स्टाफ के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करवाई जाएगी।

केस- 1 : कम खर्चे का लालच

दोपहर एक बजे बीके अस्पताल से खून की उल्टियां होने पर मरीज को दिल्ली रेफर किया गया। एंबुलेंस चालक ने तीमारदारोंं को बताया कि एनएच तीन मेें नया अस्पताल खुला है, जहां सस्ते मेें इलाज हो जाएगा। तीमारदार मरीज को लेकर वहां पहुुंच गए। एं्बुलेंस चालक मरीज को छोडक़र चला गया, जहां मरीज को डॉक्टर और स्टाफ ने 12 घंटेे भर्ती रहने का खर्च 6 हजार और इंजेक्शन का खर्च एक हजार बताया। इस पर तीमारदार महिला ने चिकित्सक को बताया कि उन्हें तो यहां कम पैसों में बेहतर इलाक का झांसा देकर छोड़़ा गया है, ऐसे मेें उन्होंने पैसों की कमी बताई, तो उस अस्पपाल ने मरीज को भर्ती करने से ही मना कर दिया, जिस पर मरीज के तीमारदार उसे लेकर लौट गए।

केस-2 : जान बचानी है तो निजी में जाओ

मुजेसर निवासी एक 11वीं कक्षा के बच्चे को झगड़े में सिर मेें बीयर की बोतल और चाकू लगने के बाद बाजू की नस कटने के कारण बीके सिविल अस्पताल से दिल्ली रेफर किया गया। शिवरात्रि की रात को बच्चे के परिजन संग न होने पर एंबुलेंस चालक ने उसके मकान मालिक को बोला कि खून अधिक बह रहा है, ऐसे मेें निजी अस्पताल लेकर जाओ, जहां उसकी जान बच सकती है। इस पर एंबुलेंस चालक उन्हेें चार माह पहले खुले निजी अस्पताल मेें छोड़ आया, जहां फिलहाल वह भर्ती है और उसका ऑपरेेशन किया गया है। ऐसे ही अनेकों मामले सामने आते हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन व सीएमओ की तरफ से मात्र आदेश ही जारी किए जाते है। यदि रेफर का खेल बंद नहीं होगा, तो निजी अस्पतालों की चांदी होती रहेगी।

धड़ल्ले से मरीजों की जेब पर डाका

शहर के बादशाह खान सिविल अस्पताल मेें रोजाना मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ का खेल धड़ल्ले से खेला जा रहा है। कुछ एंबुलेंस चालक मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर मेें दिल्ली ले जाने के बजाय निजी अस्पतालों मेंं लेकर जा रहे हैं। यहां से मरीज नए खुल रहे निजी अस्पतालों से लेकर एनआईटी तीन स्थित निजी अस्पतालों व क्लीनिकोंं में पहुंचाए जा रहे हैं। निजी अस्पतालों मेें भर्ती होने वाले मरीजों की जेबें ढ़ीली की जा रही हैं। ऐसा ही निजी अस्पतालों मेें देखने को मिला।

रेफर मुक्त संघर्ष समिति दे रही है धरना

फरीदाबाद सिविल अस्पताल के बाहर फरीदाबाद रेफर मुक्त संघर्ष समिति के संयोजक सतीश चोपड़ा के नेतृत्व में पिछले 90 दिनों से धरना जारी है। उनका कहना है कि फरीदाबाद के मरीजों को दिल्ली रेफर न किया जाए बल्कि उनका छांयसा मेडिकल कॉलेज व सिविल अस्पताल में इलाज किया जाए ताकि वह इलाज के नाम पर दलालों के चंगुल में फंसकर निजी अस्पताल में न जाए।

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