International Mandi Shivratri Festival: राज देवता माधोराय की जलेब के साथ शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव
मंडी, 27 फरवरी (निस)_ छोटी काशी मंडी में बृहस्पतिवार को सात दिवसीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव-2025 (International Mandi Shivratri Festival) का आगाज राजदेवता माधोराय की शाही जलेब के साथ हुआ। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज देवता माधोराय के मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव-2025 की प्रथम शाही जलेब में शिरकत की।
हालांकि, मौसम की खलनायकी के बावजूद धूमधाम से राजदेवता माधोराय की जलेब निकली और ढोल-नगाड़ों की धून पर झूमते हुए सैंकड़ों देवलुओं ने झूमते नाचते हुए जलेब में शिरकत की।
छाता लेकर खुली जीप में चले सीएम सुक्खू
मुख्यमंत्री बारिश के बावजूद हाथ में छाता लेकर खुली छत वाली गाड़ी में सवार होकर जलेब में शामिल हुए। आसमान से बूंदाबांदी होती रही लेकिन जनपद के देवी-देवता अपने देवलुओं के साथ ढोल-नगाड़ों की तान पर झूमते हुए पड्डल मेला मैदान तक पहुंची।
माधोराय की जलेब में सबसे आगे पुलिस के घुड़ सवार पुलिस और होमगार्ड बैंड, पुलिस के जवान, महिला पुलिस, होमगार्डस, पूर्व सैनिक लीग की टुकड़ियों के साथ-साथ सांस्कृतिक छटा बिखेरते सांस्कृतिक दलों ने भी राजदेवता की जलेब में शिरकत की। उपायुक्त कार्यालय परिसर से शुरू हुई राजदेवता माधोराय की जलेब पड्डल मैदान में पहुंची। यहां पर मुख्यमंत्री ने ध्वजारोहण कर शिवरात्रि महोत्सव का शुभारंभ किया।
International Mandi Shivratri Festival : परंपरागत पहनावे के साथ निकले सांस्कृतिक दल
वहीं जलेब में हिमाचली व मंडयाली संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले सांस्कृतिक दलों ने अपने क्षेत्र के परंपरागत पहनावे के साथ शामिल होकर प्रतिनिधित्व किया। इसमें बालीचौकी क्षेत्र के दल द्वारा मशहूर फागली नृत्य के अलावा मुखौटा नृत्य, महिलाओं की नाटी के साथ-साथ मंडी का नागरीय नृत्य की झलक भी जलेब में देखने को मिली। प्रजापिता ब्रम्हकुमारी संस्था की ओर से शिवरात्रि को लेकर विशेष झांकी के साथ जागरूकता का संदेश दिया। माधोराय की पहली जलेब में बालीचौकी क्षेत्र के देवता छाजणू-छमाहूं की जोड़ी ढोल नगाड़ों की लय पर झूमे।
International Mandi Shivratri Festival: इन देवताओं का पालकी भी पहुंची
इसके बाद देव कोटलू नारायण, देव सरोली मार्कंडेय, देव शैटी नाग, देवी डाहर की अंबिका, देव विष्णू मतलोड़ा, देव मगरू महादेव, देव चपलांदू नाग, श्रीदेव बायला नारायण, देव बिटठु नारायण, देव लक्ष्मी नारायण पखरोल, चौहारघाटी के देव हुरंग नारायण, देव घड़ौनी नारायण, देव पशाकोट नारायण, देव पेखरू का गहरी, देव चुंजवाला शिव, देव तुंगासी ब्रम्हा, देवी सरस्वती महामाया, देवी नाऊ अंबिका के बाद राज माधव की चांदी की कुर्सी और उसके पीछे राजदेवता की पालकी चल रही थी जबकि राजदेवता माधोराय की पालकी के पीछे देव शुकदेव डगाहंढु, देव शुकदेव मड़घयाल, देव जलौणी गणपति, देव शेषनाग टेपर, देव झाथीवीर और देव टूंडीवीर शामिल रहे।
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