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चिंटल इंडिया का ‘सी’ टावर भी रहने लायक नहीं

गुरुग्राम, 21 अगस्त (हप्र) सेक्टर-109 स्थित चिंटल सोसाइटी का ‘सी’ टावर भी लोगों के रहने के लिए सुरक्षित नहीं है। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। बीते साल साल आईआईटी, दिल्ली ने अपनी...
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गुरुग्राम, 21 अगस्त (हप्र)

सेक्टर-109 स्थित चिंटल सोसाइटी का ‘सी’ टावर भी लोगों के रहने के लिए सुरक्षित नहीं है। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। बीते साल साल आईआईटी, दिल्ली ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस टावर को रहने के लिए सुरक्षित बताया था, लेकिन सुझाव दिया था कि इस टावर के सरियों में जंग लगा हुआ है, जिसके चलते हर साल इसकी संरचनात्मक जांच अनिवार्य है। चिंटल इंडिया लिमिटेड ने छह महीने पहले इस सोसाइटी के सभी टावर की संरचनात्मक जांच सीबीआरआई को सौंपी थी, जिसने सी टावर को असुरक्षित बताया है। अगले 15 दिन के अंदर सुरक्षित घोषित टावर ए और बी की रिपोर्ट आ जाएगी। चिंटल सोसाइटी में नौ टावर हैं। आईआईटी, दिल्ली ने इस सोसाइटी के डी, ई, एफ, जी, एच और जे टावर को रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया था। पिछले साल जून माह में आई रिपोर्ट में ए, बी और सी टावर को सुरक्षित बताया था, लेकिन कहा था कि इस टावर में भी सरियों में जंग लगा हुआ है। ऐसे में हर साल इसका सरंचनात्मक जांच करवाने की सलाह दी थी। पिछले साल 18 दिसंबर को चिंटल इंडिया लिमिटेड ने सीबीआरआई को ए, बी, सी और जे टावर की जांच का जिम्मा सौंपा था। सीबीआरआई ने गत 16 अगस्त को बिल्डर को रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें सी टावर को भी रहने के लिहाज से असुरक्षित बताया है।

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चिंटल इंडिया लिमिटेड ने जिला प्रशासन, आरडब्ल्यूए और सी टावर के निवासियों से सांझा किया है। सी टावर के निवासियों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस टावर को अतिशीघ्र खाली किया जाए। वे स्थानांतरण शुल्क 40 हजार रुपये देने को तैयार हैं। पत्र में कहा है कि यदि किसी तरह का हादसा इस टावर में होता है तो उसकी जिम्मेदारी चिंटल इंडिया लिमिटेड की नहीं होगी। बता दें कि इस रिहायशी टावर में तीन और चार बीएचके के 64 फ्लैट्स हैं। इसमें 60 फ्लैट्स में लोग रहते हैं। 10 फरवरी, 2022 को चिंटल सोसाइटी के डी टावर में छह फ्लैट के ड्राइंग रूम की छत गिर गई थी। इसमें दो महिलाओं की मौत हो गई थी। स्थानीय निवासियों के घटिया सामग्री के इस्तेमाल के आरोप के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इस सोसाइटी के सभी टावर की जांच करवाने का फैसला लिया था।

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