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मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत गुरुग्राम जेलों में कौशल विकास और नशा विरोधी अभियान का करेंगे शुभारंभ

 मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत आज गुरुग्राम जिला कारागार भोंडसी से प्रदेश की विभिन्न जेलों में कौशल विकास केंद्रों, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा और आईटीआई-स्तरीय व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का शुभारंभ करेंगे। यह पहल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय और हरियाणा सरकार की संयुक्त...

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गुरुग्राम में शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के दौरे को भोंडसी जेल में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और जिला प्रशासन के अधिकारी अंतिम रूप देते हुए।-हप्र
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 मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत आज गुरुग्राम जिला कारागार भोंडसी से प्रदेश की विभिन्न जेलों में कौशल विकास केंद्रों, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा और आईटीआई-स्तरीय व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का शुभारंभ करेंगे। यह पहल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय और हरियाणा सरकार की संयुक्त योजना के तहत कैदियों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के साथ रहेंगे ये लोग

इस कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियों का जायजा शुक्रवार को न्यायिक अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल और डीसी अजय कुमार ने लिया। शनिवार 6 दिसंबर को आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू और उच्च न्यायालय के अन्य सभी न्यायाधीश भी उपस्थित रहेंगे।

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हरियाणा सरकार और न्यायपालिका की इस पहल से कैदियों को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की सुविधा मिलेगी, जिससे वे रिहाई के बाद आत्मनिर्भर जीवन जीने में सक्षम बन सकेंगे। इस योजना के तहत कैदियों को कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग सहायक, वेल्डर, प्लंबर, ग्रेस मेकर, इलेक्ट्रीशियन, बुडवर्क टेक्नीशियन, सिलाई तकनीक और कॉस्मेटोलॉजी जैसे आईटीआई पाठ्यक्रमों और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा में प्रशिक्षण मिलेगा। कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों को आधुनिक उद्योगों की मांगों के अनुरूप रोजगारपरक कौशल प्रदान करना और उनमें आत्मविश्वास, अनुशासन तथा उद्देश्य की भावना विकसित करना है।

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नशा विरोधी जागरुकता अभियान का शुभारंभ

न्यायमूर्ति कुलदीप तिवारी की अध्यक्षता वाली "विचाराधीन / जेल कैदियों के पुनर्वास एवं कौशल विकास" समिति ने इस पहल को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका व्यापक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रिहाई के बाद कैदियों को सामाजिक अस्वीकृति या आर्थिक अस्थिरता का सामना न करना पड़े, बल्कि उन्हें रोजगार के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता प्राप्त हों।

साथ ही इस अवसर पर नशा विरोधी जागरूकता अभियान का भी शुभारंभ किया जाएगा। यह राज्यव्यापी अभियान पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की न्यायाधीश और हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (हालसा) की कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति लिसा गिल के मार्गदर्शन में एक महीने तक चलेगा। अभियान का उद्देश्य युवाओं और उनके परिवारों को मादक पदार्थों के दुरुपयोग, स्वास्थ्य और कानूनी प्रभावों के प्रति जागरूक करना, पुनर्वास सेवाओं की जानकारी देना और समुदाय स्तर पर सतर्कता बढ़ाना है।

इस पहल में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पुलिस, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग, समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायती राज संस्थाएँ, गैर-सरकारी संगठन, स्कूल और कॉलेज प्रशासन समेत विभिन्न हितधारक शामिल हैं। कौशल विकास कार्यक्रमों और नशा विरोधी अभियान का एक साथ शुभारंभ समाज में सुरक्षित, जागरूक और सहानुभूतिशील वातावरण बनाने की दिशा में एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

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