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भागवत गीता समूचे मानव समाज के लिए : बजरंग गर्ग

अग्रोहा धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर भक्ति और आध्यात्मिक माहौल को और दिव्य बना दिया। कथा का आयोजन अग्रोहा धाम वैश्य समाज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग के नेतृत्व में...

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बजरंग गर्ग व अन्य श्रद्धालु भागवत कथा में आरती करते हुए।
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अग्रोहा धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर भक्ति और आध्यात्मिक माहौल को और दिव्य बना दिया। कथा का आयोजन अग्रोहा धाम वैश्य समाज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग के नेतृत्व में भव्य रूप से किया जा रहा है।

कथा के दौरान बजरंग गर्ग ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भागवत का मूल मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ है, जिसके स्मरण मात्र से इसका संपूर्ण सार प्राप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि भागवत गीता का उपदेश किसी एक धर्म या संप्रदाय तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए मार्गदर्शक है। श्री कृष्ण द्वारा दी गई शिक्षाएं हर व्यक्ति के जीवन को संतुलित और शांत बनाने का संदेश देती हैं।

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उन्होंने बताया कि भागवत पुराण की शिक्षा विभिन्न तरीकों से दी जाती है और धार्मिक व आध्यात्मिक केंद्रों—जैसे वृंदावन और शुक्रताल—में पारंपरिक रूप से इसका पाठ कराया जाता है। उन्होंने प्रत्येक परिवार को श्रीमद् भागवत महापुराण का पाठ करने की सलाह दी, क्योंकि कथा सुनने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

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गर्ग ने भागवत सार के चार मूल सिद्धांत भी बताए—

  • अपना कार्य स्वयं करें,

  • कम बोलें,

  • बिना मांगे सलाह न दें,

  • सहनशीलता अपनाएं।

उन्होंने कहा कि यदि परिवार इन सिद्धांतों को जीवन में अपनाए, तो घर में शांति, एकता और आपसी सम्मान स्वाभाविक रूप से स्थापित होगा। कार्यक्रम में बाहर से आए अतिथियों को स्मृति चिन्ह और पटका पहनाकर सम्मानित भी किया गया।

कथा के दौरान त्रिलोकी महाराज ने रुक्मिणी जी के चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि रुक्मिणी भगवान कृष्ण की पत्नी थीं, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। कृष्ण ने उनका हरण कर उन्हें अवांछित विवाह और दुष्ट शिशुपाल से बचाया।

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