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‘हिंदी पत्रकारिता में बाबू बालमुकुंद गुप्त के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता’

आईजीयू में स्मृति समारोह संपन्न
रेवाड़ी के आईजीयू मीरपुर में बृहस्पतिवार को आयोजित बाबू बालमुकुंद गुप्त स्मृति समारोह को संबोधित करते विधायक लक्ष्मण सिंह। -हप्र
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हिंदी पत्रकारिता के मसीहा बाबू बालमुकुंद गुप्त राष्ट्रीयता के सजग प्रहरी और नवजागरण के अग्रदूत थे। हिंदी पत्रकारिता, साहित्य एवं भाषा के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ये बात विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने बृहस्पतिवार को इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के पटेल भवन में बाबू बालमुकुंद गुप्त स्मृति समारोह में कहे।  क्षेत्र के साहित्यकारों हलचल हरियाणवी, विजयपाल सेहलंगिया, मास्टर राम अवतार, दर्शना शर्मा जिज्ञासु ,अरविंद भारद्वाज, मोनिका यादव, डॉ. त्रिलोक चंद फतेहपुरी, सत्यवीर नाहड़िया, प्रोफेसर रोमिका बत्रा की कृतियों का लोकार्पण भी किया गया। समारोह की अध्यक्षता कुलसचिव प्रोफेसर दिलबाग सिंह की। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के हिंदी तथा हरियाणवी प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संतराम देशवाल (सोनीपत) और बाबू बालमुकुंद गुप्त के प्रपौत्र बिमल गुप्त मौजूद रहे। बालमुकुंद गुप्त के प्रपौत्र बिमल गुप्त के सौजन्य से पांच पुरस्कार प्रदान किए गए। इनमें दिवंगत हास्य कवि अल्हड़ बीकानेरी को मरणोपरांत बाबू बालमुकुंद गुप्त कोहेनूर सम्मान से अलंकृत किया गया, जिसे उनके पुत्र दिनेश शर्मा तथा बहू अंजू शर्मा ने ग्रहण किया। हिंदी व हरियाणवी के लिए गुप्त के नाम से चार कथाकार व समालोचक रत्नकुमार सांभरिया (जयपुर), कथाकार-कवि प्रोफेसर रमेश सिद्धार्थ (रेवाड़ी) उपन्यासकार-लेखक डॉ मधुकांत (रोहतक) तथा हरियाणवी कवि डॉ. त्रिलोकचंद फतेहपुरी (महेंद्रगढ़) को सम्मानित किया गया।

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