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बाबू बालमुकुंद गुप्त हिंदी के परिमार्जक व राष्ट्रीयता के अग्रदूत थे : नाहड़िया

हिंदी हमारी मातृभाषा, स्वाभिमान व राष्ट्रीय पहचान रही है तथा हिंदी पत्रकारिता के मसीहा बाबू बालमुकुंद गुप्त हिंदी के परिमार्जक व राष्ट्रीयता के अग्रदूत थे। ये विचार केंद्रीय हिंदी सलाहकार समिति के नवमनोनीत सदस्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया ने...
रेवाड़ी के बाल भवन में सोमवार को आयोजित काव्य गोष्ठी में उपस्थित कवि। -हप्र
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हिंदी हमारी मातृभाषा, स्वाभिमान व राष्ट्रीय पहचान रही है तथा हिंदी पत्रकारिता के मसीहा बाबू बालमुकुंद गुप्त हिंदी के परिमार्जक व राष्ट्रीयता के अग्रदूत थे। ये विचार केंद्रीय हिंदी सलाहकार समिति के नवमनोनीत सदस्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया ने बाल भवन में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।

वे यहां राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा बाबू बालमुकुंद गुप्त सप्ताह पर केंद्रित काव्य गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। अध्यक्षता साहित्यकार प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने की। बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद के अध्यक्ष ऋषि सिंहल मुख्य अतिथि तथा नगर परिषद् की पूर्व चेयरपर्सन सरोज भारद्वाज विशिष्ट अतिथि रहीं। इस दौरान करीब 24 रचनाकारों ने काव्य पाठ कर भावविभोर कर दिया। प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने हिंदी की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए, मानक हिंदी के प्रयोग पर बल दिया। ऋषि सिंहल ने बाबू बालमुकुंद गुप्त के जीवन पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि सरोज भारद्वाज ने काव्य- गोष्ठी की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। राष्ट्रीय कवि संगम के जिला अध्यक्ष मुकुट अग्रवाल ने मंच संचालन किया।

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काव्य गोष्ठी में राजेश ‘भुलक्कड़’, तेजभान कुकरेजा, यतिन ‘चारण’, प्रेमपाल ‘अनपढ़’, अरविंद भारद्वाज, डा. त्रिलोक फतेहपुरी, दलबीर ‘फूल’, सैनिक शत्रुघ्न, सुनील गुप्ता, कुमार विकाश, डाॅ. सुधा यादव, अरुण गुप्ता अजेय, डाॅ. शिखा सिंघल, अभिलाषा नामदेव, विकास मोखरिया, अरुण कुमार द्विवेदी, नाहर सिंह, लाल बहादुर कौशिक, मनोज कौशिक करनावास, सचिन अग्रवाल, अंकित खोला सहित दो दर्जन रचनाकारों ने काव्य पाठ किया। सभी रचनाकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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