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सराय गंगानी भूमि घोटाले में महिला तहसीलदार को बचाने की कोशिश, राजनीतिक दबाव का आरोप

पंचायत विभाग में तालमेल की कमी उजागर जिले के तावड़ू क्षेत्र की सराय गंगानी ग्राम पंचायत की करोड़ों रुपये की पंचायती भूमि के अवैध पंजीकरण मामले ने पंचायत विभाग में तालमेल की भारी कमी और अंदरूनी खींचतान को उजागर कर...
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पंचायत विभाग में तालमेल की कमी उजागर

जिले के तावड़ू क्षेत्र की सराय गंगानी ग्राम पंचायत की करोड़ों रुपये की पंचायती भूमि के अवैध पंजीकरण मामले ने पंचायत विभाग में तालमेल की भारी कमी और अंदरूनी खींचतान को उजागर कर दिया है। मामला तब सुर्खियों में आया जब विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने अधीनस्थ को पत्र लिखकर महिला तहसीलदार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को सीमित करने के निर्देश जारी किए।

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इस कदम को राजनीतिक दबाव में उठाया गया बताया जा रहा है। दरअसल, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) नरेंद्र सरवन ने 10 नवंबर को खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) तावड़ू को एक पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि एफआईआर नंबर 126, जो उसी दिन दर्ज हुई थी, में सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले सरकारी अनुमति आवश्यक है।

इसलिए यह एफआईआर केवल निजी पक्षों पर ही लागू की जाए। पत्र में यह भी लिखा गया कि भविष्य में ऐसे मामलों में कार्रवाई से पहले शासन से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह मामला तब तूल पकड़ गया जब मोहम्मदपुर अहिर थाना पुलिस ने बीडीपीओ अरुण कुमार की शिकायत पर महिला तहसीलदार समेत सात लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया।

आरोप है कि आईटीसी ग्रांड भारत होटल के सामने स्थित लगभग पांच एकड़ बेशकीमती पंचायती भूमि को राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से एक निजी कंपनी के नाम अवैध रूप से हस्तांतरित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, कंपनी का संबंध एक प्रमुख राजनेता के रिश्तेदार से बताया जा रहा है।

डीडीपीओ नरेंद्र सरवन ने पत्र की पुष्टि करते हुए कहा कि यह निर्देश केवल नियमों के अनुपालन के लिए हैं और इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं है। वहीं सूत्रों का कहना है कि पत्राचार राजनीतिक दबाव में किया गया ताकि आरोपी महिला तहसीलदार को बचाया जा सके।

दो सप्ताह की मीडिया हलचल और प्रशासनिक दबाव के बाद एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन विवादित रजिस्ट्री पर रोक अब तक नहीं लग पाई है। डीसी अखिल पिलानी के अनुसार मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है और रजिस्ट्री रद्द करने का निर्णय जांच और न्यायालय के आदेश के आधार पर होगा।

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