आस्था का संगम है चमेलीवन मंदिर का अंजनी कुंड
इतिहास के अनुसार यहां भगवान कृष्ण गोपियों व ग्वालों के साथ गाय चराने आते थे। बताया जाता है कि एक दिन भगवान कृष्ण को गाय चराते हुए काफी रात हो गई। श्रीकृष्ण घर न पहुंचने पर मैया यशोदा उनकी तलाश में चमेलीवन पहुंच गयीं। माता को आता देख भगवान कृष्ण ने कुंड में छलांग लगा दी थी। माता के वहां पर खड़े रहने के कारण श्रीकृष्ण हनुमान के वेश में प्रगट हुए तथा माता यशोदा ने उनकी हनुमान के रूप में पूजा-अर्चना की। उस दिन से इस कुंंड का नाम अंजनी कुंड पड़ा।
ब्रज फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने इस तीन एकड़ में स्थित अंजनि कुंड की खुदाई की और इसे उजीना ड्रेन से जोड़ दिया। यहां घाटों का निर्माण, पशुओं के पीने के पानी, कुुंड में जाने के पक्के रास्ते का निर्माण करके इसका सौंदर्यीकरण किया गया है। इस मंदिर के बारे में प्रसिद्ध है कि यहां पर मन से पूजा-अर्चना करने वाले की अभिलाषा तुरंत ही भगवान हनुमान द्वारा पूरी की जाती है।