Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

अमृता विश्वविद्यापीठम ने स्नातक समारोह आयोजित

अमृता विश्वविद्यापीठम ने पूर्ण वित्त पोषित ई फोर लाईफ पीएचडी प्रोग्राम के पहले स्नातक बैच का जश्न मनाया। सतत विकास को केंद्र में रखकर शुरू किए गए इस अनूठे कार्यक्रम से 9 देशों के 23 शोधार्थियों ने पीएचडी पूरी की,...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
फरीदाबाद की अमृता विश्वविद्यापीठम में पत्रकारों से बातचीत करतीं डॉ. मनीषा, वी रमेश, डॉ. रविशंकर और डॉ. सुधा अर्लिकट्टी। -हप्र
Advertisement

अमृता विश्वविद्यापीठम ने पूर्ण वित्त पोषित ई फोर लाईफ पीएचडी प्रोग्राम के पहले स्नातक बैच का जश्न मनाया। सतत विकास को केंद्र में रखकर शुरू किए गए इस अनूठे कार्यक्रम से 9 देशों के 23 शोधार्थियों ने पीएचडी पूरी की, जिनमें से कई आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं।

यह कार्यक्रम 2020 में स्कूल फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स के तहत कुलाधिपति श्री माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) के मार्गदर्शन में शुरू हुआ था। हर साल 45 करोड़ रुपये (यूएसडी 5.1 मिलियन) की वार्षिक निधि से यह 100 शोधार्थियों को ट्यूशन, आवास, जीवनयापन और शोध के लिए पूर्ण आर्थिक सहायता देता है।

Advertisement

डॉ. मनीषा वी. रमेश, प्रोवोस्ट एवं डीन, स्कूल फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स ने कहा कि यह सिर्फ स्नातक समारोह नहीं, बल्कि भविष्य के लिए आशा का संदेश है। ये 23 शोधार्थी केवल डिग्री धारक नहीं, बल्कि बदलाव के वाहक हैं। मैं चाहती हूं कि ये अम्मा के करुणा और नि:स्वार्थ सेवा के भाव को आगे बढ़ाएं। इस बैच में भारत, ज़ाम्बिया, नाइजीरिया, जिम्बाब्वे, युगांडा, घाना, ईरान, तंजानिया और यूनाइटेड किंगडम के शोधार्थी शामिल हैं। उनका कार्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है, जिसमें आधुनिक तकनीक, पारंपरिक ज्ञान और मानवीय दृष्टिकोण का संगम है।

ग्रामीण भारत में रहकर बदले विकास के मायने

ई फोर लाईफ की सबसे बड़ी खासियत है लिव-इन-लैब्स. मॉडल, जिसमें शोधार्थी एक साल तक भारत के गांवों में रहकर स्थानीय लोगों के साथ काम करते हैं। यह अनुभव केवल शोध नहीं, बल्कि रिश्ते, भरोसा और मानवीय जुड़ाव बनाने की प्रक्रिया है। इन शोधार्थियों ने जलवायु परिवर्तन, जनजातीय कल्याण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, लैंगिक समानता और सतत कृषि जैसे क्षेत्रों में काम किया।

Advertisement
×