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छाती में लीवर, किडनी लेकर जन्मे पांच नवजातों को अमृता हॉस्पिटल ने दिया दूसरा जीवन

कंजेनिटल डायफ्रामेटिक हर्निया के अत्यंत जटिल मामलों में टीम ने की सफल सर्जरी
फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में बच्चों के सफल आपरेशन के बाद परिजनों के साथ डॉ. नितिन जैन और टीम। -हप्र
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अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने एक बार फिर चिकित्सा जगत में मिसाल पेश करते हुए पांच नवजात शिशुओं को जीवनदान दिया है, जो कंजेनिटल डायफ्रामेटिक हर्निया जैसी अत्यंत दुर्लभ और घातक जन्मजात विकृति से जूझ रहे थे। इन बच्चों का जन्म ऐसे हुआ था कि उनका लीवर, किडनी, आंतें और पेट का हिस्सा छाती की गुहा में मौजूद था, जिससे फेफड़ों को विकसित होने का पर्याप्त स्थान नहीं मिल पाया। यह स्थिति हर 5000 केसों में लगभग एक बार देखने को मिलता है। पिछले तीन महीनों में किए गए इन पांचों मामलों में अमृता हॉस्पिटल की पीडियाट्रिक सर्जरी और नियोनेटोलॉजी टीम ने जटिल सर्जरी और लंबी नवजात गहन देखभाल प्रक्रिया के बाद सफलता प्राप्त की। चार बच्चों में हर्निया बाईं ओर था, जबकि एक दुर्लभ मामला दाईं ओर का था जिसे शिशु शल्य.चिकित्सा की सबसे कठिन श्रेणी माना जाता है। इस शिशु का जिगर लगभग पूरी तरह छाती में पहुंच गया था, जिससे फेफड़ों का विकास बहुत सीमित रह गया था। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को गंभीर श्वसन संकट में वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। डॉ. नितिन जैन सीनियर कंसल्टेंट एवं हेड, पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने बताया कि सीडीएच केवल जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भावस्था के दौरान ही फेफड़ों के विकास को रोक देता है। उन्होंने कहा कि दाईं ओर का सीडीएच सबसे जटिल स्थिति होती है क्योंकि इसमें जिगर जैसे महत्वपूर्ण अंग छाती में चले जाते हैं। सर्जरी के दौरान हर मिनट बच्चे की जान से जुड़ा होता है।

डॉ. हेमंत शर्मा सीनियर कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजी ने कहा कि सर्जरी के बाद की देखभाल उतनी ही चुनौतीपूर्ण रही। फेफड़ों में रक्त प्रवाह, रक्तचाप, वेंटिलेशन, दवाओं और पोषण के बीच सूक्ष्म संतुलन बनाए रखना बेहद कठिन था। उन्होंने बताया कि एनआईसीयू की प्रशिक्षित नर्सिंग टीम, डॉक्टरों और तकनीकी विशेषज्ञों ने मिलकर यह असंभव लगने वाला कार्य संभव किया।

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एक नवजात के माता-पिता ने भावुक होकर कहा कि जब डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के अंग छाती में हैं, तो हमें लगा सब खत्म हो गया। आईसीयू में बिताया हर दिन भय और उम्मीद के बीच बीता। आज अपने बच्चे को मुस्कुराते और सामान्य रूप से सांस लेते देखना हमारे लिए चमत्कार से कम नहीं है।

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