Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

अमृता हॉस्पिटल ने एक साल से भी कम समय में पूरी कीं 100 रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी

अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने महज एक साल के भीतर 100 से अधिक रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी पूरी कर एक अहम मुकाम हासिल किया है। विश्व प्रसिद्ध माको रोबोटिक सिस्टम की शुरुआत सितंबर 2024 में की गई थी और आज यह...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
अमृता हॉस्पिटल के हेड ऑफ आरथ्रोप्लास्टी और रोबोटिक सर्जरी डाॅ. साहिल गाबा ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के 100वें मरीज सुरेन्द्रपाल लाम्बा के साथ। -हप्र
Advertisement

अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने महज एक साल के भीतर 100 से अधिक रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी पूरी कर एक अहम मुकाम हासिल किया है। विश्व प्रसिद्ध माको रोबोटिक सिस्टम की शुरुआत सितंबर 2024 में की गई थी और आज यह अस्पताल फरीदाबाद का पहला मेडिकल सेंटर बन गया है जो टोटल नीए पार्टियल नी और टोटल हिप रिप्लेसमेंट जैसी अत्याधुनिक रोबोटिक तकनीक प्रदान करता है।

पिछले छह दशकों में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी ने लंबा सफर तय किया है, साधारण इम्प्लांट डिज़ाइन

Advertisement

से लेकर 1990 के दशक की कंप्यूटर असिस्टेड सर्जरी तक और अब रोबोटिक्स ने पूरी दुनिया में नया स्वर्णिम मानक स्थापित किया है।

अमृता हॉस्पिटल द्वारा लाई गई नई तकनीक ने कम समय में ही फरीदाबाद की आर्थोपेडिक सर्जरी को नई दिशा दी है। इस कार्यक्रम की अगुवाई हेड ऑफ आरथ्रोप्लास्टी और पहले रोबोटिक सर्जन डॉ. साहिल गाबा ने की जिन्होंने यूके से रोबोटिक हिप और नी सर्जरी में फलोशिप पूरी की है।

उनकी विशेषज्ञता के चलते अस्पताल ने न सिर्फ यह तकनीक शुरू की, बल्कि फरीदाबाद में पहली बार रोबोटिक असिस्टेड नी और हिप रिप्लेसमेंट भी किया।

डॉ. गाबा ने कहा कि रोबोटिक्स ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में गेम चेंजर है। माको सिस्टम हर मरीज की बॉडी एनाटॉमी के अनुसार सर्जरी को कस्टमाइज़ करता है। इससे लिगामेंट बैलेंसिंग में सटीकता मिलती है और रिज़ल्ट ऐसा होता है कि नया जोड़ प्राकृतिक लगता है,दर्द कमए मूवमेंट तेज़ और जीवन में जल्दी वापसी।

सर्जरी करवाने वाले फरीदाबाद निवासी 74 वर्षीय सुरेंद्र पाल लांबा ने कहा कि सर्जरी से पहले थोड़ी दूरी चलना भी मुश्किल था।

ऑपरेशन के कुछ दिन बाद ही मैं बिना सहारे चलने लगा। ऐसा लगता है जैसे मैंने अपनी आज़ादी और जीवन वापस पा लिया हो।

Advertisement
×