कांग्रेस के दबाव के बाद केंद्र सरकार ने कम किया जीएसटी
कांग्रेस के ग्रामीण जिलाध्यक्ष वर्धन यादव ने जीएसटी में किए गए सुधार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जीसटी प्रणाली में हुए सुधार से साफ हो गया है कि लोगों पर टैक्स का अनुचित बोझ लादा गया था और इसीलिए...
कांग्रेस के ग्रामीण जिलाध्यक्ष वर्धन यादव ने जीएसटी में किए गए सुधार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जीसटी प्रणाली में हुए सुधार से साफ हो गया है कि लोगों पर टैक्स का अनुचित बोझ लादा गया था और इसीलिए जीएसटी को कांग्रेस ने गब्बर सिंह टैक्स का नाम दिया था। कांग्रेस हमेशा से ही जीएसटी का विरोध करती रही, लेकिन केंद्र सरकार ने जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने का काम किया था। मोदी सरकार ने एक देश, एक टैक्स को एक देश, नौ टैक्स बना दिया था। देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर मोदी सरकार ने टैक्स लगाया और कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी थोपा गया। दूध-दही, आटा-अनाज, यहां तक कि बच्चों की पेंसिल-किताबें, ऑक्सीजन, बीमा और अस्पताल के खर्च जैसी रोजमर्रा की चीजों पर भी जीएसटी थोपा। कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64 प्रतिशत हिस्सा गरीबों-मध्यम वर्ग की जेब से आता है लेकिन अरबपतियों से केवल तीन प्रतिशत वसूला जाता है। कॉरपारेट टैक्स 30 से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है। पिछले पांच वर्षों में इनकम टैक्स वसूली में 240 प्रतिशत की वृद्धि तो जीएसटी वसूली में 177 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने 2019 और 2024 के घोषणापत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की पैरोकारी की थी। जीएसटी को सरल बनाने की मांग की थी, जिससे एमएसएमई और छोटे व्यवसाय को लाभ मिल सके। वर्धन यादव ने कहा कि 28 फरवरी 2005 को कांग्रेस-यूपीए सरकार ने लोकसभा में जीएसटी की औपचारिक घोषणा की और 2011 में तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी जीएसटी बिल लेकर आए तब भाजपा और उसके मुख्यमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी का घोर विरोध किया था। आज यही भाजपा सरकार रिकार्ड जीएसटी संग्रह का जश्न मनाती है जैसे कि आम जनता से टैक्स वसूलकर कोई बहुत बड़ा काम किया हो।

