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बाबा मस्तनाथ विवि में दाखिला प्रक्रिया शुरू

रोहतक, 7 मई (हप्र) बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय में नये शैक्षणिक सत्र (2025-26) के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. एचएल वर्मा ने बताया कि बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि यह एक संस्कारशाला है,...
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रोहतक, 7 मई (हप्र)

बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय में नये शैक्षणिक सत्र (2025-26) के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. एचएल वर्मा ने बताया कि बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि यह एक संस्कारशाला है, जहां युवा पीढ़ी का सर्वांगीण निर्माण होता है। नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय में मल्टीपल एंट्री-एग्जिट, स्किल-बेस्ड कोर्सेस, और इनोवेशन आधारित शिक्षा मॉडल को अपनाया गया है, जिससे छात्र स्वयं अपने भविष्य के निर्माता बन सकें। हमारा लक्ष्य विद्यार्थियों को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रखकर उन्हें वैश्विक दृष्टिकोण, नेतृत्व क्षमता और आत्मनिर्भरता के रास्ते पर अग्रसर करना है। कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय में शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं है। हम छात्रों को आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और जीवन मूल्यों से युक्त एक प्रेरणादायी वातावरण प्रदान करते हैं। दाखिला प्रक्रिया को आसान, पारदर्शी और छात्र-केंद्रित बनाया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी जानकारी दी कि छात्र सहायता केंद्र, हेल्प डेस्क, और डिजिटल पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया सरल और सुलभ बना दी गई है। बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय ऐसे युवाओं को गढऩे का प्रयास कर रहा है जो न केवल अपने करियर में सफल हों, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा सकें। बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय में वर्तमान में 14 विभागों के 80 से ज्यादा कोर्स के अंतर्गत स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा और विविध पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। इनमें इंजीनियरिंग, मेडिकल और पैरामेडिकल साइंसेज, फार्मेसी, मैनेजमेंट, कानून, कंप्यूटर साइंस, आईटी, शिक्षा, आर्ट्स, सोशल साइंस, संस्कृत, हिंदी और विज्ञान शामिल हैं। विश्वविद्यालय ने छात्रों के समग्र विकास हेतु कई नवाचार किए हैं जैसे इनोवेशन हब, इन्क्यूबेशन सेंटर, इंडस्ट्री-कनेक्ट प्रोग्राम्स, डिजिटल लर्निंग लैब्स, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल, स्किल डेवलपमेंट सेल, और एलुमनी कनेक्ट सेल। ये सभी पहले विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर और नवाचारशील बनाने में मददगार हैं।

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