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संयुक्त टीम ने किया कपास व अन्य फसलों में रोगों के प्रकोप का सर्वे

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एवं राज्य कृषि विभाग के डीडीए डाॅ. देवेंद्र सिंह के सहयोग से संयुक्त टीम ने आज खंड अटेली के गांव मिर्जापुर बाछौद में जाकर कपास व बाजरा की फसल में कीट व अन्य रोगों...
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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एवं राज्य कृषि विभाग के डीडीए डाॅ. देवेंद्र सिंह के सहयोग से संयुक्त टीम ने आज खंड अटेली के गांव मिर्जापुर बाछौद में जाकर कपास व बाजरा की फसल में कीट व अन्य रोगों का सर्वेक्षण किया। संयुक्त सर्वेक्षण टीम में राज्य कृषि विभाग से सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह, कृषि विकास अधिकारी डॉ सुधीर यादव, फरीदाबाद से रीजनल इंचार्ज एवं उपनिदेशक डॉ. वंदना पांडेय के निर्देशानुसार सहायक वनस्पति संरक्षक अधिकारी डा. लक्ष्मीकांत, सहायक वनस्पति संरक्षक अधिकारी डा. सूरज बरनवाल व सहायक वनस्पति संरक्षक अधिकारी डा. केपी शर्मा की संयुक्त टीम ने सर्वेक्षण के दौरान पाया कि जिले में अभी सभी फसलों कपास, बाजरा में कीट और अन्य रोगों का प्रभाव आर्थिक हानि स्तर से कम पाई गई।

किसानों को सलाह दी गई की लगातार फसल के निगरानी करें तथा फसल के 60 दिन के हो जाने पर 5 प्रतिशत एनएसकेई का छिड़काव करें, फूल अवस्था में 10 प्रतिशत नुकसान की स्थिति (रोजेट फ्लावर) तथा टिंडे विकास की अवस्था में 20 अवस्था में 20 टिंडों में कम से कम 2 टिंडों में गुलाबी सुंडी का बाहरी सुराख हो तो वह आर्थिक हानि स्तर का माना जाएगा तथा फसल के बिजाई के 45 दिनों के बाद 2 फेरोमोन, ट्रैप प्रति एकड़ लगाए तथा रोजाना निगरानी करें एवं देखें कि कीटों की संख्या 8 कीट प्रति ट्रैप लगातार 3 दिन तक आने पर ही कीट को आर्थिक हानि स्तर का माना जाता है। ऐसी स्थिति होने पर किसानों को सेंट्रल इनसेकिटसाइड बोर्ड एवं रजिस्ट्रेशन कमेटी द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों का अनुशंसित कीटनाशकों का अनुशंसित मात्रा का छिड़काव करें।

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