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मीत्रौल में 52 पाल/खाप कथा ने दिखाई सामाजिक एकता की मिसाल

सभी दलों के नेता एक मंच पर आए नजर

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(फोटो 3 पलवल-1 में) मीत्रौल-औरंगाबाद में आयोजित 52 पाल/खाप कथा कार्यक्रम में भाजपा विधायक हरेन्द्र रामरतन का स्वागत करते लोग।-हप्र
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पलवल जिले के मीत्रौल-औरंगाबाद गांव में सोमवार को आयोजित 52 पाल/खाप कथा समारोह ने सामाजिक एकता और भाईचारे की नई मिसाल पेश की। चौहान पाल द्वारा आयोजित इस भव्य आयोजन में पक्ष और विपक्ष के अनेक नेताओं ने एक मंच साझा कर समाज में प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश दिया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजपा विधायक हरेन्द्र रामरतन, पूर्व विधायक व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव दीपक मंगला, केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के विशेष कार्याधिकारी किरणपाल खटाना, भाजपा जिलाध्यक्ष विपिन बैंसला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व असंगठित कामगार कर्मचारी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश तंवर पृथला, पूर्व केबिनेट मंत्री करण सिंह दलाल मौजूद रहे।

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ये नेता भी रहे मौजूद

इनके अलावा इनेलो जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह चौहान, किसान नेता राकेश टिकैट, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय सचिव रतन सिंह सौरोत, पूर्व मंत्री हर्ष कुमार, जजपा हलका अध्यक्ष सुखराम डागर, ज्ञान सिंह चौहान, मास्टर महेन्द्र चौहान, सुरेन्द्र सोलंकी, प्रधान पालम 360, महिला कांग्रेस अध्यक्ष सविता चौधरी सहित अनेक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता 52 पाल अध्यक्ष चौधरी अरुण जेलदार ने की, जबकि लाडो सराय-96 तंवर पाल के अध्यक्ष चौधरी नरेश कुमार प्रधान विशेष रूप से मौजूद रहे। आयोजन का संचालन महेश चौहान, जीतू चौहान व सुंदर चौहान ने किया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ वेद मंत्रोच्चारण व हवन यज्ञ से हुआ। भजनों और मंगल गीतों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया, वहीं महिलाओं ने लोकगीत प्रस्तुत कर अपनी सांस्कृतिक धरोहर का परिचय दिया।

राकेश तंवर पृथला ने कहा कि 52 पाल कथा प्रेम, करुणा और सामाजिक एकता का प्रतीक है, ऐसे आयोजन समाज को जोड़े रखने का कार्य करते हैं।
विधायक हरेन्द्र रामरतन ने कहा कि भंडारा केवल भोजन वितरण नहीं, बल्कि प्रेम और समानता की भावना का प्रतीक है।
पूर्व विधायक दीपक मंगला ने कहा कि सेवा और सहयोग के माध्यम से ही मानवता का कल्याण संभव है।


वहीं पूर्व मंत्री करण दलाल ने कहा कि पलवल क्षेत्र की यह परंपरा सामाजिक एकता का जीता-जागता उदाहरण है, जहां राजनीति भले अलग हो पर समाज एक रहता है।

कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों और श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। उपस्थित जनसमूह ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर झूमकर एकता और भाईचारे का उत्सव मनाया।

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