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झूठे केस में फंसाने पर 5 पुलिसकर्मी दोषी, विभागीय कार्रवाई के आदेश

अदालत ने चारों आरोपियों को किया बरी, एसपी को कार्रवाई करने के निर्देश
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गांव काहनौर के 4 लोगों को झूठे केस में फंसाने के मामले में रोहतक की स्थानीय अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए 5 पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) मोहम्मद सगीर की अदालत ने कहा कि आरोपियों के विरुद्ध लगाए गंभीर आरोप अदालत में प्रमाणित नहीं हो सके और यह मामला पुलिस की मनमानी और शक्तियों का दुरुपयोग प्रतीत होता है। सीजेएम मोहम्मद सगीर ने 4 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने एसपी को 2 माह में कार्रवाई की अनुपालना रिपोर्ट देने के निर्देश जारी किए हैं।  मामले में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी चुघ ने कोर्ट में पैरवी की।

गांव काहनौर निवासी सुरेंद्र, कर्मबीर, सन्नी व सोनू के खिलाफ कलानौर पुलिस स्टेशन में 31 अक्टूबर 2016 को भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 332, 34, 341, 353 व 506 के तहत केस दर्ज हुआ था। काहनौर पुलिस चौकी के कांस्टेबल सुरेंद्र मोहन ने शिकायत दर्ज कराई थी कि वह रात करीब सवा 10 बजे पुलिस चौकी में मौजूद था। तभी कांस्टेबल मनोज ने बताया कि काहनौर निवासी लक्ष्मण के साथ मारपीट हुई है। वह एसपीओ अनिल को साथ लेकर जांच के लिए काहनौर पहुंचा। जब वह वाल्मीकि बस्ती में टी-प्वाॅइंट चौपाल के पास पहुंचा तो 4 लोग बाजार की ओर से पैदल आ रहे थे। वे सभी शराब के नशे में थे। आरोपियों ने सुरेंद्र मोहन का रास्ता रोक लिया और हाथापाई की। फिर उसे थप्पड़ मारे और वर्दी फाड़ दी। घटना का पता चलने पर उसके साथी पुलिस कर्मी मौके पर आए। आसपास के लोगों ने उसे छुड़वाया। इसके बाद वे जान से मारने की धमकी देकर वहां से फरार हो गए। काहनौर पुलिस चौकी के एएसआई हरिराम को जांच अधिकारी बनाया गया था।

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बिना गिरफ्तारी कोर्ट में चालान किया पेश

बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी चुघ ने गुरूवार को बताया कि दरअसल 31 दिसंबर 2016 को कांस्टेबल सुरेंद्र मोहन व एसपीओ अनिल, कर्मबीर के घर में जबरन घुस गए थे और पत्नी माया देवी के साथ छेड़छाड़ की थी। उसी दिन पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी गई थी लेकिन माया देवी की शिकायत पर केस दर्ज नहीं किया गया। कांस्टेबल सुरेंद्र मोहन ने छेड़छाड़ के इस मामले में अपना पीछा छुड़वाने के लिए ही माया देवी के पति सुरेंद्र और 3 अन्य के खिलाफ झूठा केस दर्ज करा दिया। यही नहीं पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार किए बिना ही कोर्ट में चालान पेश कर दिया। पुलिस ने कोर्ट में तर्क दिया कि अगर चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता तो उपद्रव हो जाता। इसलिए गिरफ्तार किए बिना ही चालान पेश किया गया है।

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