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18 वर्षीय बेटी ने लिवर दान कर पिता को दी नई जिंदगी

लिवर फेलियर के कारण मरीज को पीलिया, पेट में पानी, पैरों में सूजन की समस्या से मांसपेशियां भी हो रही थीं कमजोर
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फरीदाबाद, 18 अप्रैल (हप्र)बेटियां अपने पापा के दिल के बहुत करीब होती हैं। अगर बेटी पर किसी प्रकार का संकट आ जाए तो पिता बड़ी से बड़ी चुनौती से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में एक ऐसा मामला आया जहां भूटान की मात्र 18 वर्षीय बालिका ने अपने बीमार पिता को बचाने के लिए लिवर दान कर साबित कर दिया है कि बेटियां भी पिता के लिए जिंदगी तक न्योछावर कर सकती हैं।

डॉ. पुनीत सिंगला प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी-लिवर ट्रांसप्लांट एवं एचपीबी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने बताया कि हमारे पास भूटान से लिवर फेलियर की समस्या के साथ रमेश (बदला हुआ नाम) नाम का मरीज आया। लिवर फेलियर के कारण मरीज को पीलिया, पेट में पानी, पैरों में सूजन, कमजोरी और मांसपेशियां कम होना शुरू हो गया था। परेशान होकर मरीज के परिजन ने हमसे लिवर ट्रांसप्लांट के बारे में सलाह ली। ठीक से काउंसलिंग के बाद, परिजन मरीज का ट्रांसप्लांट कराने के लिए तैयार हो गए। डोनर न मिलने पर पिता की जान बचाने के लिए 18 वर्षीय बेटी लिवर दान करने के लिए आगे आई। ट्रांसप्लांट से जुड़ी सभी मेडिकल एवं लीगल औपचारिकताएं पूरी की गई। फिर बेटी के लिवर का एक छोटा सा हिस्सा लेकर पिता का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। ट्रांसप्लांट सफल रहा। डोनर को पहले ही डिस्चार्ज कर दिया। पूरी तरह से स्वस्थ होने पर फिर मरीज को भी जल्दी डिस्चार्ज कर दिया गया। ट्रांसप्लांट के बाद मरीज सामान्य जीवन जी रहा है। ठीक होने पर मरीज को पता चला कि उनकी बेटी ने लिवर देकर उनकी जान बचाई है तो मरीज की आंखों में आंसू आ गए थे। मरीज ने बेटी पर गर्व करने के साथ मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स एवं लिवर ट्रांसप्लांट टीम का तहे दिल से धन्यवाद किया।

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