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कामचलाऊ नहीं, उपयोगी हो आपका गिफ्ट

अधिकतर लोग उपहार देने को महज औपचारिकता मानते हैं व कंजूसी करते हैं। लेकिन तोहफे के लेन-देन के वक्त उसकी गुणवत्ता और उपयोगिता का ख्याल रखा जाना जरूरी है। वहीं गिफ्ट आइटम का चुनाव करते वक्त ध्यान रखें कि वह...
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अधिकतर लोग उपहार देने को महज औपचारिकता मानते हैं व कंजूसी करते हैं। लेकिन तोहफे के लेन-देन के वक्त उसकी गुणवत्ता और उपयोगिता का ख्याल रखा जाना जरूरी है। वहीं गिफ्ट आइटम का चुनाव करते वक्त ध्यान रखें कि वह आकर्षक भी हो।

नीलोफर

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हमारे भारतीय समाज में एक दूसरे को विभिन्न अवसरों पर गिफ्ट देने और लेने का काफी चलन है। जो लोग किसी को कुछ देने या किसी से कुछ न लेने की फॉर्मेलिटी में पड़ते नहीं हैं, उन्हें लोग अव्यावहारिक, कंजूस, दूसरों से रूखा व्यवहार करने वाला साबित करते हैं। देखा जाए तो ज्यादा लेनदेन का व्यवहार, ज्यादा उपभोग को भी बढ़ावा देता है, जिसके कारण आजकल बाजार में देने-लेने के लिए कई तरह के सस्ते गिफ्ट्स मिलते हैं, जिन्हें लोग खानापूरी के लिए एक-दूसरे को देते हैं। इन सस्ते गिफ्ट्स को देने और लेने वाले दोनों ही ज्यादा सीरियस नहीं होते और वो किसी से हासिल किया हुआ गिफ्ट, किसी दूसरे को आगे थमा देते हैं। यही वजह है कि किसी से लिया और किसी को दिया गिफ्ट लोग इस्तेमाल इसलिए नहीं करते क्योंकि सस्ते होने के कारण लोगों को उनकी गुणवत्ता पर भरोसा नहीं होता। हालांकि यह भी देखने में आया है कि दूसरों को सस्ते गिफ्ट्स देने वाले लोग अकसर अपने लिए हमेशा महंगी चीजों का चयन करते हैं, लेकिन दूसरों को सस्ते गिफ्ट्स देने में उन्हें कोई गुरेज नहीं होता।

घर में गैरजरूरी सामान का ढेर

नतीजा यह है कि इन सस्ते तोहफों के कारण लोगों के घरों में चीजों की भरमार हो जाती है। कई बार जिन्हें फिक्स आइटम्स गिफ्ट्स में दी जाती हैं, उनके पास ये चीजें बड़ी संख्या में इकट्ठी हो जाती है। मसलन हम किसी धार्मिक कार्यक्रम में श्रद्धावश पंडितों को दक्षिणा में लगभग एक जैसी चीजें देते हैं, वो उनके पास इतनी ज्यादा हो जाती हैं कि उन्हें दुकानदारों को ये औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ती हैं। सस्ते गिफ्ट देने की वजह से घर में गैरजरूरी चीजें तो जमा होती ही हैं, पर्यावरण के नजरिये से भी धरती पर कूड़े का बोझ भी बढ़ता है। यह सस्ती और बेकार चीजें घर में क्लटर जमा करती हैं और जगह भी घेरती हैं। लंबे समय तक घर में ये रखी रहती हैं तो उससे घर भी कूड़े का ढेर लगने लगता है।

गिफ्ट्स हों काम के व पसंद के

बहरहाल किसी को गिफ्ट देना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन सस्ते गिफ्ट्स देना अच्छी बात नहीं है। क्योंकि सस्ते गिफ्ट्स न तो जिन्हें हम देते हैं, उनके लिए उपयोगी होते हैं, न उनकी पसंद के अनुरूप होते हैं। अगर संभव हो तो गिफ्ट्स की बजाय आप किसी को नगद पैसे दे देते हैं तो उसके लिए भी ज्यादा उपयोगी साबित होते हैं। बाजार में जब हम खरीदारी के लिए जाते हैं तो अगर हम दुकानदार से इस बात का जिक्र करते हैं कि हमें किसी को देने के लिए सूट या साड़ी दिखा दीजिए। किसी को देने के नाम पर दुकानदार के लिए मतलब यही होता है कि कोई ऐसी काम चलाऊ सूट या साड़ी जो भले ही टिकाऊ न हो, लेकिन सस्ती हो, किसी बड़े त्योहार के अवसर पर महिलाएं अपनी कामवाली बाईयों के लिए तो विशेष तौरपर सस्ते गिफ्ट्स ही देती हैं। अगर वह उनकी दी हुई चीज से मीनमेख निकालती हैं तो उन्हें बहुत बुरा लग जाता है। जबकि उन्हें यह सोचना चाहिए कि किसी को हम त्योहार के अवसर पर जो कुछ भी दे रहे हैं, वह उसके लिए उपयोगी और टिकाऊ होना चाहिए।

आकर्षण व गुणवत्ता हो तोहफे में

इन सस्ते गिफ्ट्स में सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि लोग इन्हें खोलकर भी नहीं देखते और यह एक हाथ से दूसरे हाथ में बतौर गिफ्ट आगे चलती रहती हैं यानी ये किसी के उपयोग में भी नहीं आते और इनमें इतना आकर्षण नहीं होता कि कोई इनको खोलकर देखें या इनका उपयोग करने के लिए सोचे। दरअसल उपहार ऐसा आकर्षक होना चाहिये कि उसे पाते ही खोलकर देखने का मन करे और काम में लाया जा सके। अगर आप भी किसी को गिफ्ट देने के लिए सोच रहे हैं तो किसी को गिफ्ट के नाम पर ऐसी चीज न दें, जो सस्ती और उसके लिए उपयोगी न हो, जिसे देखकर उसका मुंह बन जाए, वह आपके बारे में गलत धारणा बनाए, इसलिए सस्ते गिफ्ट की बजाय किसी को नगद पैसा दे देना ज्यादा बेहतर है।

-इ.रि.सें.

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