योग सिर्फ व्यायाम नहीं, लाइफ स्टाइल थैरेपी भी
आजकल की अति व्यस्त जिंदगी, कामकाज के प्रेशर और पारिवारिक जिम्मेवारियों के चलते तनाव-चिंता जन्म देते हैं। जिससे तन-मन की व्याधियां पनपती हैं। इनसे राहत दिलाने में योग कारगर है। दरअसल, प्राणायाम, ध्यान, आसन और क्रियाएं मानसिक शांति पाने में मददगार हैं।
दिव्यज्योति ‘नंदन’
आज की तनावभरी और टारगेट ओरिएंटेड व्यस्त जिंदगी में योग न सिर्फ जरूरी है बल्कि मानसिक, शारीरिक संतुलन बनाये रखने का यह एक असरदार उपाय भी है। दरअसल, इंसान ऑफिस के प्रेशर, सोशल मीडिया के प्रेशर, पारिवारिक जिम्मेदारियों, कैरियर और भविष्य की चिंताओं में घिरा रहता है। योग में प्राणायाम, ध्यान, आसन और क्रियाएं मानसिक शांति लाकर चिंता, डिप्रेशन और एंग्जाइटी को कम करती हैं। लंबे समय तक सिटिंग जॉब करने वाले और शारीरिक गतिविधियों से रहित लाइफस्टाइल के चलते अकसर मांसपेशियों में अकड़न पैदा हो जाती हैं। कमरदर्द बना रहता है। ऐसे में मोटापा और डायबिटीज जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
लचीलापन बढ़ाने, पोस्चर सुधारने में सहायक
योग इन सब स्थितियों में राहत दिलाता है। योग के जरिये शरीर में लचीलापन बढ़ता है, पोस्चर सुधरता है, रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। वहीं हार्ट बीट काबू में रहती है। साथ ही तनाव के कारण होने वाली सूजन नहीं होती और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसलिए हर व्यक्ति को योग करने की जरूरत है। भले वह शारीरिक रूप से इसकी जरूरत महसूस करता हो या न करता हो। तनावपूर्ण जिंदगी जीने वाले लोग अगर प्रत्यक्ष तौर पर कई सारी चिंताओं से परेशान नहीं दिखते, तो भी आशंका रहती है कि किसी भी क्षण उनमें ये सारी समस्याएं अपना असर दिखा सकती हैं। इसलिए अलर्ट रहकर योग के जरिये इस तरह की आशंकाओं को निर्मूल करते रहना चाहिए।
गहरी नींद, बेहतर रिश्ते
योग करने से बेहतर नींद आती है जिससे न सिर्फ शरीर को शांति महसूस होती है बल्कि जीवनशैली को भी बेहतर बनाया जा सकता है। इसलिए योग करना बहुत फायदेमंद होता है। योग करने से मेलाटॉनिन हार्मोन का स्तर संतुलित होता है, जिससे अनिद्रा यानी इंसोमेनिया जैसी समस्याएं दूर होती हैं। हम दिनभर ऊर्जा से लबालब रहते हैं जो लोगों के साथ रिश्ते सहज और दोस्ताना बनाने में मददगार हैं। दरअसल, मेडिटेशन और यौगिक विधियों द्वारा हम खुद के भीतर झांकने की कोशिश करते हैं। किसी आपाधापी में धैर्य और आत्मसंयम बनाये रहते हैं। इससे हमारे घर, परिवार और प्रोफेशनल रिश्ते तो संतुलित रहते ही हैं, हमारे खुद के साथ भी रिश्ते संतुलित होते हैं। वास्तव में योग हममें तुरंत रिएक्ट करने की जगह रिस्पोंड करने की आदत डालता है।
तन, मन का संतुलन
योग को सिर्फ एक एक्सरसाइज नहीं कहना चाहिए बल्कि यह एक लाइफस्टाइल थैरेपी है जो हमारे तन, मन और आत्मा तीनों को संतुष्ट रखती है। तीनों के बीच एक बेहतर संतुलन रखती है और सबसे बड़ी बात यह है कि योग करने में हमारे सिर्फ समय के और थोड़े से शारीरिक प्रयासों के अलावा कुछ और खर्च नहीं होता। इसलिए तनाव और दबाव से भरी जिंदगी में हर किसी को योग करना चाहिए। इससे हमें महंगी दवाओं की गिरफ्त में नहीं जाना पड़ता। मेडिसिन के बिना भी हम एक बेहतर जीवन जी सकते हैं। कहा भी गया है योग करो, रोग से दूर रहो और दुनिया के साथ साथ खुद से भी जुड़ो। योग से ये तिहरे स्तर के लाभ होते हैं।
स्ट्रेस फ्री वर्ल्ड के लिए योग ज्ञान
विश्व को चिंताओं और तनाव से छुटकारा दिलाने में भारत के योग ज्ञान की बहुत बड़ी भूमिका है, यह बात पूरी दुनिया मानती है। योग, ध्यान तथा आयुर्वेद दुनिया को तनाव से मुक्ति दिलाने में बड़े मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। योग सिर्फ धार्मिक या पारंपरिक विरासत नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से सिद्ध मानव जीवन को शांति का तोहफा है। दुनिया ने योग को मानसिक और शारीरिक तनाव से राहत का साधन माना है। अमेरिका, यूरोप, जापान जैसे सभी विकसित देशों में आज न सिर्फ लोग घरों और पार्कों में हर तरफ योग करते दिखेंगे बल्कि अस्पतालों, स्कूलों, कार्पोरेट कार्यालयों और सेना के बैरकों में भी अब योग को एक महत्वपूर्ण गतिविधि के रूप में अपना लिया गया है। योग का मूल सिद्धांत है स्थिरता, श्वास की गहराई और मन का संतुलन। ये तीनों चीजें किसी भी व्यक्ति के तनाव को जड़ से पकड़ती है और उसे उखाड़ बाहर करती हैं। इससे व्यक्ति खुशी और संतोष अनुभव करता है।
आज दुनियाभर में फैल चुके माइंडफुलनेस, विपश्यना, ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन, वास्तव में इन सब जरूरी योग ज्ञान की जड़ें भारत में हैं। यही वजह है कि आज गूगल, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां अपने कर्मचारियों को ध्यान सिखा रही हैं ताकि वो तनाव कम करें और अधिक उत्पादक बनें। अमेरिका की कई यूनिवर्सिटीज ने इस संबंध में रिसर्च की हैं और भारतीय ज्ञान विधियों को तनाव, डिप्रेशन जैसी समस्याओं के इलाज में कारगर पाया है। -इ.रि.सें.