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गुनगुनी धूप में योग से खिलेंगे तन-मन

सर्दियों की सुबह कोमल धूप में योग करना शरीर में लय व मन में शांति का उपक्रम होता है। इस समय सूर्य की किरणों के बीच श्वास और प्रकाश का मेल शरीर के हर कोने को जीवंत कर देता...
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सर्दियों की सुबह कोमल धूप में योग करना शरीर में लय व मन में शांति का उपक्रम होता है। इस समय सूर्य की किरणों के बीच श्वास और प्रकाश का मेल शरीर के हर कोने को जीवंत कर देता है, तब शरीर में रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। जिससे इम्यूनिटी बढ़ती है और हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है।

जब सुबह-सुबह सूरज की सुनहरी किरणें धरती को हल्की थाप से छूती हैं, तो ओंस की बूंदें जो पत्तों में ठहरी होती हैं, वह भी सूरज की गरमाइश से शरीर के अंदर गर्म भाप बनकर उतर जाती हैं। वास्तव में सर्दियों की सुबह-सुबह व्यायाम महज व्यायाम नहीं होता बल्कि यह शरीर में लय, मन में शांति और आत्मा को प्रकाश से नहलाने का उपक्रम होता है। सर्दियों में भारतीय परंपरा के तहत सूर्य को जीवन ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है। इसलिए प्राचीन ग्रंथों में सूर्य उपासना और सूर्य नमस्कार का खास महत्व वर्णित है।

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सर्दियों की धूप में योग इसलिए लाभकारी

क्योंकि इससे शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन डी हासिल होती है। वास्तव में सुबह की धूप, विशेषकर सूर्योदय के बाद पहले 30 से 60 मिनट तक की धूप विटामिन डी से भरपूर होती है और धरती में इंसान के लिए यह विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत भी होती है। यह धूप शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाती है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। जोड़ों का दर्द या गठिया जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। इसलिए सर्दियों की सुबह की धूप में योग करना बहुत फायदेमंद होता है। इस दौरान शरीर से निकला हुआ पसीना शरीर को खोलता और प्रफुल्लित करता है।

बेहतर रक्त संचार और ऑक्सीजन आपूर्ति

सर्दियों की सुबह धूप में किये गये योग से रक्तवाहिनियां फैलती हैं, जिस कारण शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है इससे शरीर के कोने-कोने तक ऑक्सीजन की ज्यादा मात्रा पहुंचती है। नतीजतन शरीर प्रसन्न और ऊर्जा से भरा-पूरा होता है बल्कि इस दौरान हमारा मस्तिष्क सर्वाधिक सक्रिय और मन बेहद एकाग्र रहता है। यह विशेष रूप से प्राणायाम और सूर्य नमस्कार के चलते लाभदायक साबित होता है। जब श्वास और प्रकाश का मेल शरीर के हर कोने को जीवंत कर देता है, तब शरीर में रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति शानदार स्तर तक बढ़ जाती है।

सुधरता है हार्मोनल संतुलन

सर्दियों में सुबह-सुबह की धूप में योगा करने से हमारे शरीर का हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है, जिस कारण हमें मानसिक शांति मिलती है। सुबह की धूप में जो नीली और लाल रोशनी की तरंगें मौजूद होती हैं, वे मस्तिष्क के सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन को संतुलित करती हैं। सेरोटोनिन हार्मोन शरीर के मूड को बेहतर बनाता है, जबकि मेलाटोनिन हार्मोन नींद को नियमित करता है। जब हम सर्दियों की रात में भरपूर आरामदायक नींद लेते हैं, तो शरीर के सभी अंग स्वस्थ और ऊर्जावान होते हैं। जो लोग सुबह-सुबह की धूप में योग करते हैं, उन्हें तनाव, चिंता और अवसाद से राहत मिलती है। दिनभर उनकी एकाग्रता और सकारात्मकता बनी रहती है। साथ ही रात को गहरी नींद लेते हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती

सर्दियों और संक्रमण के मौसम में सुबह-सुबह की धूप के दौरान योग करना उसी तरह काम करता है, जैसे शरीर के लिए प्राकृतिक वैक्सीन। सुबह की धूप से शरीर में श्वेत रक्त कणिकाएं सक्रिय होती हैं, जो वायरस और बैक्टीरिया से लड़ती हैं। सुबह की धूप किये कुछ आसन जैसे भस्त्रिका, कपालभाती और धनुरासन शरीर की ऊष्मा बढ़ाते हैं, इससे ठंड लगने और एलर्जी की समस्याएं बहुत कम होती हैं।

आंखों के लिए भी लाभकारी

कोमल धूप के बीच किये गये योगासनों का लाभ हमारी आंखों और देखने की क्षमता को भी मिलता है। सुबह की धूप में आंखें खोलकर किया गया त्राटक देखने की क्षमता को तो बढ़ाता ही है, इससे हम अपनी नजरों से किसी खास जगह पर कंसन्ट्रेट कर सकते हैं। सुबह धूप में योग करने से आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, दृष्टि दोष खत्म होता है और मन में शांति व स्थिरता आती है। यह साधना सूर्योदय के बाद या उससे पहले हल्की रोशनी में करनी चाहिए। जब सूर्य की किरणें धीरे-धीरे अपना वेग बढ़ा रही हों।

मानसिक ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत

सुबह धूप में जब हम योग करते हैं तो प्रकृति का हर तत्व- हवा, प्रकाश, पक्षियों की चहचहाना और मिट्टी की गंध हमारे जीवन में ताजगी का अहसास कराती है। यह वातावरण हमारे मन और उत्साह को लबालब कर देता है। जब हम सूर्य की ओर मुंह करके योग करते हैं, तो हममें सिर्फ मानसिक क्षमताएं ही नहीं बढ़ती बल्कि शरीर में आत्मविश्वास और साहस की भावना भी उफनने लगती है। - इ.रि.सें.

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