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सर्दी में योग की शुरुआत सूर्य नमस्कार से

सूर्य नमस्कार सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह श्वास-प्रश्वास के संयोजन से एकाग्रता और तनावमुक्ति भी देता है। सूर्य नमस्कार की 12 अलग-अलग अवस्थाएं पूरे शरीर को आसानी से सक्रिय कर देती हैं। इनमें स्ट्रेचिंग, ट्विस्ट, बैक-बैंड और फारवर्ड बैंड...
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सूर्य नमस्कार सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह श्वास-प्रश्वास के संयोजन से एकाग्रता और तनावमुक्ति भी देता है। सूर्य नमस्कार की 12 अलग-अलग अवस्थाएं पूरे शरीर को आसानी से सक्रिय कर देती हैं। इनमें स्ट्रेचिंग, ट्विस्ट, बैक-बैंड और फारवर्ड बैंड सब शामिल हैं।

सर्दियों की सुबहें अकसर आलस व अकड़न से भरी होती हैं। ऐसे मौसम में अगर हम अपनी योगशाला सूर्य नमस्कार से शुरू करें तो सबसे अच्छा रहता है। क्योंकि यह बाकी आसनों के मुकाबले एक परिपूर्ण व्यायाम है। इसकी 12 विभिन्न अवस्थाएं शरीर के हर अंग को सहजता से सक्रिय कर देती हैं। यह आसन स्ट्रेचिंग, ट्विस्ट, बैक-बैंड और फारवर्ड बैंड अपने में सबको शामिल करता है। एक ही शृंखला में पूरे शरीर का शानदार व्यायाम हो जाता है। सबसे बड़ी बात यह कि सूर्य नमस्कार करना बहुत आसान है। हालांकि शुरुआत में सूर्य नमस्कार भी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए। बावजूद इसके पहली बार सूर्य नमस्कार करने वाला भी इसे बहुत आसानी से कर लेता है। क्योंकि इसमें संतुलन और लचक की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती।

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कम समय में ज्यादा फायदे

फिर भी सूर्य नमस्कार की उपयोगिता किसी भी दूसरे आसन से कहीं ज्यादा है। क्योंकि यह क्रमबद्ध और प्रवाहमान है, इसलिए सूर्य नमस्कार से बहुत जल्दी लाभ मिलता है और शरीर भी बहुत जल्दी लय में आ जाता है। सर्दियों के लिए यह विशेषकर लाभकारी होता है, क्योंकि सर्दियों में रक्तसंचार धीमा हो जाता है, जिसे यह आसन बेहतर बनाने में मदद करता है। इससे शरीर गर्म रहता है, शरीर की जकड़न कम होती है, दिनभर शरीर ऊर्जावान रहता है। दरअसल, सूर्य नमस्कार सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह श्वास-प्रश्वास के संयोजन से मानसिक एकाग्रता और तनावमुक्ति भी देता है।

12 प्रकार की अवस्थाएं

सूर्य नमस्कार में शरीर की 12 विभिन्न अवस्थाएं बनती हैं और यह हर अवस्था शरीर को एक खास तरह से व्यायाम कराती है। इसके पहली अवस्था है प्रणामासन या प्रार्थना मुद्रा, इसके लिए हमें हाथ जोड़कर खड़े होना होता है और इस दौरान श्वास सामान्य रहता है। दूसरी अवस्था हस्तउत्तानासन है यानी हाथ ऊपर ले जाकर पीछे की ओर झुकने की अवस्था। तीसरी अवस्था को पादहस्तासन कहते हैं। इसमें झुककर हाथ पैरों के पास रखा जाता है और धीरे-धीरे श्वास छोड़ी जाती है। चौथी अवस्था अश्व संचालनासन है, इसमें दायां पैर पीछे ले जाना होता है और घुटना जमीन पर होता है। सूर्य नमस्कार की पांचवीं अवस्था है दंडासन, इसके तहत दूसरा पैर को पीछे ले जाकर शरीर को बिल्कुल सीधा रखते हैं और श्वास छोड़ते हैं। छठवीं अवस्था अष्टांग नमस्कार इसमें घुटने, छाती और ठोड़ी जमीन पर लगाकर श्वास रोकना होता है। सातवीं अवस्था है भुजंगासन इसके तहत पेट के बल लेटकर सीने को ऊपर उठाते हुए पेट के बल उठते हैं और श्वास लेते हैं। सूर्य नमस्कार की आठवीं अवस्था पर्वतासन, इसके तहत कूल्हों को ऊपर उठाकर उल्टे वी आकार की मुद्रा बनाते हैं और श्वास छोड़ते हैं। नौवीं अवस्था फिर एक बार अश्व संचालनासन की होती है। इसके तहत बायां पैर आगे रखकर श्वास लेते हैं। दसवीं अवस्था पादहस्तासन होती है, जिसमें दोनों पैर साथ-साथ झुकते हैं और हम सांस लेते हैं। ग्याहवीं अवस्था को हस्तउत्तानासन और बारहवीं अवस्था को प्रणामासन कहते हैं। इसके तहत जहां हाथ ऊपर की ओर उठाकर पीछे की तरफ झुकना होता है, वहीं बारहवीं अवस्था में हाथ जोड़कर सीधे खड़े हो जाना होता है और सामान्य श्वास ली जाती है। सूर्य नमस्कार की ये 12 अवस्थाएं शुरुआत में 4 से 6 राउंड पर्याप्त हैं, लेकिन जब धीरे-धीरे सूर्य नमस्कार रिद्म में आ जाए, तो 12 राउंड तक भी कर सकते हैं।

नियम और सावधानियां

हर आसन की तरह सूर्य नमस्कार करते समय भी कुछ सावधानियां बरती जानी जरूरी होती हैं। मसलन सूर्य नमस्कार हमेशा खाली पेट करना चाहिए। इसे अगर ब्रह्म मुहूर्त के समय यानी सूर्योदय से पहले किया जाए तो सबसे अच्छा है। सूर्योदय के समय भी यह बहुत उपयोगी है। सूर्य नमस्कार सीखने में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए, इससे मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है। सूर्य नमस्कार करते समय श्वास-प्रश्वास पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सही तरीके से सांस लेना और छोड़ना बहुत जरूरी होता है।

इन अवस्थाओं में करें परहेज

जब भी बीमार हों, मन खराब हो या कोई पुरानी बीमारी वापस आ रही हो, ऐसी अवस्था में सूर्य नमस्कार न करें। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हार्निया, स्लिपडिस्क वाले लोगों को चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को कभी भी सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। बहुत जरूरी हो तो किसी विशेष इंस्ट्रक्टर की देखरेख में संशोधित रूप से करना चाहिए।

पहले वार्मअप जरूरी

सूर्य नमस्कार के पहले वार्मअप जरूरी है। बहुत ठंड के समय इसे अचानक शुरू नहीं कर देना चाहिए। हल्का स्ट्रेच या कम से कम 500 कदम चलकर पहले शरीर को गर्म करना चाहिए और फिर यह आसन करना चाहिए। सर्दियों में नियमित सूर्य नमस्कार करने से शरीर में गर्माहट, ऊर्जा और लचक बनी रहती है। -इ.रि.सें.

 

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