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इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं समेटे विराटनगर

देवेन्द्रराज सुथार विराटनगर जिसे बैराठ के नाम से भी जाना जाता है। यह जयपुर से 85 किलोमीटर दूर खूबसूरत अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है। इस नगर की स्थापना राजा विराट ने की थी और यह प्राचीन मत्स्य साम्राज्य की...
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देवेन्द्रराज सुथार

विराटनगर जिसे बैराठ के नाम से भी जाना जाता है। यह जयपुर से 85 किलोमीटर दूर खूबसूरत अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है। इस नगर की स्थापना राजा विराट ने की थी और यह प्राचीन मत्स्य साम्राज्य की राजधानी थी। विराटनगर में ऐसे साक्ष्य मिलते हैं जिनसे पता चलता है कि यह न केवल पौराणिक, महाभारत और गुप्त काल, बल्कि मुगल काल की भी महत्वपूर्ण घटनाओं को अपने अंदर समेटे हुए हैं।

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महाभारत के अनुसार पांडवों ने अपने 13 साल के वनवास के अज्ञातवास के दौरान यहां प्रवास किया था। राजा विराट ने पांडवों की स्वामी भक्ति एवं वीरता से प्रभावित होकर अपनी पुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से किया था। महाभारत कालीन भग्नावशेष आज भी यहां बिखरे पड़े हैं। मान्यता है कि यहां स्थित भीम की डूंगरी में भीम ने निवास किया था। यहीं पर पहाड़ों से बनी कुछ विशाल आकृतियां हैं, जिनमें भीम गट्टे के बारे में कहा जाता है कि भीम इनसे खेलते थे, भीम लत जहां एक पांव की आकृति है, बताया जाता है भीम ने यहां एक जोरदार लात मारी थी, जिससे यह आकृति बन गई। एएसआई द्वारा किए गए शोध और उत्खनन में यहां कई प्रागैतिहासिक साक्ष्य मिले हैं। यहां एक लंबी आर्ट गैलरी भी है, जिसमें यहां की खुदाई में मिली मूर्तियां, सिक्के और अन्य धातु सामग्री प्रदर्शित की गई है।

यहां की विभिन्न दर्शनीय इमारतें जैसे पंच महल (मुगल गेट), छतरियों के साथ-साथ बीजक की पहाड़ी पर स्थित बौद्ध स्तूप, बौद्ध मोनेस्ट्री, जैन मंदिर, जैन नसिया, गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर और प्राचीन विंध्यचल मंदिर इस क्षेत्र के ऐतिहासिक होने की पुष्टि भी करते हैं। बताया जाता है मुगल सम्राट अकबर हर साल अपनी अजमेर यात्रा के दौरान पंच महल में प्रवास करते थे। चूंकि ये क्षेत्र जंगली जानवरों से संपन्न था, तो समय-समय पर वो और उनके साथी यहां शिकार करने भी आया करते थे।

इतिहास से पता चलता है कि इस महाजनपद पर 5वीं शताब्दी में चेदि साम्राज्य का कब्जा था और बाद में यह मौर्य साम्राज्य का हिस्सा बन गया। इस स्थान के गौरवशाली इतिहास की बदौलत पर्यटक यहां अशोक शिलालेख देख सकते हैं। यह मौर्य राजा अशोक का एक प्राचीन शिलालेख है, जहां उन्होंने अपने कुछ कानून, सलाह और घोषणाएं उकेरी हैं। विराटनगर आरंभ से आध्यात्मिक नगर के साथ-साथ व्यापार-वाणिज्य का भी प्रधान केंद्र रहा। चूंकि मत्स्य महाजनपद शूरसेन, अवंती एवं कुरु के निकट स्थित था। इसलिए इसका सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्व रहा। भाब्रू लघु शिलालेख से यह ज्ञात होता है कि अशोक मगध का राजा था। इस समय यहां बौद्ध धर्म का बोलबाला था। अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी रहा इसकी पुष्टि भी इस अभिलेख से होती है। अशोक के समय विराटनगर में शिक्षा की पहुंच आमजन तक थी। इतिहासकार स्मिथ ने इस बात की पुष्टि की है।

1936 में विराटनगर (बैराठ) से दयाराम साहनी ने बौद्ध स्तूप को खोज निकाला। यह राजस्थान का प्राचीनतम स्तूप है। बैराठ अपनी शैलचित्र कला के लिए भी प्रसिद्ध है। वस्तुतः बैराठ अपनी उत्कृष्ट संस्कृति के लिए विख्यात रहा है। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने यहां की यात्रा कर इस ऐतिहासिक नगर की बहुत प्रशंसा की। विराटनगर के स्मारक, किले और प्राचीन मंदिर आदि शहर की महान सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हैं। विराटनगर संग्रहालय में मिट्टी के बर्तन, पुराने सिक्के, धातु के टुकड़े, हथियार, मुहरें और मूर्तियां आदि सहित विभिन्न प्राचीन वस्तुओं के कई संग्रह हैं, जो हमें विराटनगर की संस्कृति और इतिहास को समझने में मदद करते हैं। यहां के लोगों को नृत्य और संगीत पसंद है और उनके सभी त्योहार और उत्सव राजस्थान के पारंपरिक लोकनृत्य और गीतों से समृद्ध हैं। यहां महाभारत कालीन भगवान श्री केशवराय का मंदिर है, जिसमें कृष्ण और विष्णु की तीन-तीन मूर्तियां स्थित हैं। 64 स्तंभ और 108 तोडि़यां हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

कब जाएं

विराटनगर की जलवायु गर्मियों और सर्दियों में अत्यधिक चरम होती है। जबकि गर्मी के मौसम में शहर बहुत गर्म होता है और तापमान 46-47 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, वहीं सर्दियों के मौसम में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और बहुत ठंड होती है। इसलिए इस गंतव्य की यात्रा के लिए उपयुक्त मौसम मार्च और अक्टूबर के महीनों के बीच है। इन महीनों के दौरान मौसम आरामदायक रहता है। जुलाई-अक्तूबर माह में औसतन 300 मिमी वर्षा होती है।

कैसे पहुंचे

विराटनगर तक हवाई, रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा विराटनगर का निकटतम एयरबेस है। पर्यटक जयपुर रेलवे स्टेशन तक ट्रेनों का भी लाभ उठा सकते हैं। विराटनगर के लिए हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन दोनों से कैब उपलब्ध हैं। पर्यटक भारत के सभी हिस्सों से आसानी से विराटनगर पहुंच सकते हैं, क्योंकि हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों कोलकाता, मुंबई, दिल्ली और चेन्नई जैसे प्रमुख स्थलों से जुड़े हुए हैं। जयपुर के लिए बसें उपलब्ध हैं और यहां से पर्यटक विराटनगर के लिए कैब बुक कर सकते हैं।

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