अखिलेश आर्येन्दु
प्रेम, उल्लास और मस्ती के पर्व की उत्सवधर्मिता को समझिए। भारतीय पर्व आपसी पूरकता और प्रेम परिवार व समाज के आधार हैं, होली इस आधार को मजबूत करने का बेहतर अवसर है। चेतना, शरीर, मन और बुद्धि को परिष्कार कर पवित्रता और पूरकता का समावेश होली का मूल्यवादी पक्ष है। इसी तरह मानव मूल्यों को व्यावहारिक और यथार्थ रूप को त्योहार के जरिए कैसे बेहतर समाज निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है, यह होली की उत्सवधर्मिता को समझ कर किया जा सकता है। प्राकृतिक बदलाव और नयी फसल का उल्लास किसान के जीवन में फाल्गुन मास में देखने को मिलता है, यह बदलाव और उल्लास होली के वे मूल्य हैं, जो हमारे आंतरिक अभाव को खत्म करने का संदेश देते हैं। रंग, अबीर और पिचकारी को यूं तो शरीर, मन और आत्मा की उपमा करने वाले भी इसे एक ओर जहां आध्यात्मिक-पर्व के रूप में देखते हैं वहीं पर सहिष्णुता, शुभता, सदभावना, प्रेम, सत्य और भाईचारे के कारण इसे मूल्य संस्थापक और धर्म का एक सबसे अनोखा पर्व मानने वालों की भी कमी नहीं है।
सादगी से होली मनाने की सनातन परम्परा के मुताबिक ही होली खेलना बेहतर है।
नयी फसल, फल, मेवों और रसों की नूतन ऊर्जा से भरा मानव समाज होली के पुरातन, वैज्ञानिक, शुद्ध आध्यात्मिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक चेतना और महानता को समझकर यदि इस पर्व को सही मायने में उल्लास और आनंद की धारा में मनायें तो इसके गिरते स्वरूप को रोका जा सकता है। प्रकृति के साथ किस तरह सहचर बनकर हम खुशियां मना सकते हैं, इस विमर्श को होली आगे बढ़ाने का कार्य करती है। लेकिन जब हम अपनी गलत आदतों, मान्यताओं और व्यवहारों की वजह से अंधविश्वासों, पाखंडों, मनोविकारों और विकृत करने वाले विचारों के कारण होली की सात्विकता और मूल्यों से हटकर होली के नाम पर हुड़दंग, झगड़े-फंसाद, बदला लेने का कार्य और जुआ खेलकर होली मनाते हैं तो होली त्योहार न होकर विकृति और पाखंड फैलाने का अवसर बन जाती है।
जीवन की उत्सवधर्मिता में जिन होली के अनेक रंगों को हम देखते हैं और उन रंगों में रंगी अनेक मान्यताएं, परंपराएं और धारणाएं हमें आपस में अनायास ही जोड़ देती हैं। कृषि लोक संस्कृति में होली का रंग सभी रंगों में बेजोड़ और उत्सवधर्मी है। इसी तरह सांस्कृतिक, साहित्यिक, कला और जीवन शैली के भी अनेक रंग इनमें घुले मिलते हैं। इस त्योहार की सबसे बड़ी ख़ासियत यही है कि इसके जितने भी रंग हैं, सभी रंगों की छटा अलग-अलग होते हुए भी, एक है।