दीप्ति अंगरीश
किसी नये संस्थान में जाएं या कहीं और आपको कुछ लोगों को अपना विश्वासपात्र बनाना ही पड़ता है। कोई तो हो जिससे आप अपनी बातें शेयर कर सकें। लेकिन ध्यान रहे कि आपका विश्वास अनुभव की कसौटी पर परखा हुआ हो। हमारे कई विचारकों ने कहा है कि विश्वास अंधा होता है, अनुभव ही सत्य है। इसी सत्य को सहारे चलते चलते हम जब विश्वास करने लगते हैं, तो हमारी आदत हो जाती है। कई बार स्थिति अंधविश्वास वाली भी हो जाती है।
सभी जानते हैं कि कैसे बिना मांगे आपको सलाह मिलती रहती है। लेकिन, यूं ही किसी ने कुछ कह दिया या बिना मांगे किसी विषय पर सलाह दे दी, तो जरूरी नहीं उसे मान ही लिया जाये। कहा ही गया है कि सुनें सबकी, करें मन की। जानकार कहते हैं कि यदि आपको सुखी रहना है तो इसे अपनी आदत में शामिल कर लें। माना कि इससे बचना थोड़ा मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं। दिक्कत तब आती है जब आप सलाह मांगते नहीं, फिर भी आपके अज़ीज़ दोस्त आपके सामने सलाह-महशिवरे का पिटारा खोल के रख देते हैं। समस्या उसे स्वीकारने या ठुकराने पर आती है। आखिर आपको लगता है दिल की हर बात को जानने वाला दोस्त गलत नहीं कहता। बेशक दोस्ती में दोनों तरफ से अटूट और अंधा विश्वास होना चाहिए। यही बेस्ट फ्रेंडशिप की निशानी है, पर कुछ जगहों पर हिदायत न ही मानें तो अच्छा-
वर्कआउट में हिदायत क्यों?
आप अपने अज़ीज़ दोस्त को बताएं कि आप कैसा वर्कआउट कर रहे हैं? वर्कआउट का रोज़ाना शेड्यूल क्या है? कैसी डाइट ले रहे हैं? दोस्त को अपने वर्कआउट प्लान का बताएं, पर इस विषय मे ंअंधविश्वास नहीं करें। आपके दोस्त को वर्कआउट के बारे में ज्यादा जानकारी हो या कम। दोनों ही स्थितियों में वह अपने तरीके से बताएगा। हो सकता है कि आपने दोस्त को बहुत-सी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में नहीं बताया हो। ऐसे में दोस्त का बताया वर्कआउट प्लान कितना कारगर होगा? आप ही सोचिए। हो सकता है कि दोस्त फिटनेस फ्रीक नहीं हो और आपको वर्कआउट से हतोत्साहित करे। इसके साथ ही यह जान लें कि फूड हैबिट्स से सेहत बनती है। इसके अलावा आपकी फिजिकल सेहत आप जो खाना खाते हैं उससे बनती है। इसलिए डाइट प्लान पर दोस्ती या विश्वास नहीं, विशेषज्ञ राय लें तो बेहतर होगा।
मेडिकेशन की नो एंट्री
कई बार हर मामले में सलाह लेने से दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं। मसलन आपके दोस्त ने आपको अपना जानकर कोई दवा बताई। फिर आपने बुखार में ली और तुरंत में आपको साइड इफेक्ट झेलने पड़ें। ऐसे में गुस्सा, नारज़गी ही जाएगी। दोस्ती में दवाइयों को बीच में नहीं आने दें। दवा की जरूरत है तो डॉक्टर के पास जाएं।
करिअर और रिलेशनशिप
हम तो आपको सलाह देंगे कि करिअर और रिलेशनशिप में दोस्त से सलाह नहीं लें। असल में दोनों ही जगह आपको ही जूझना है। या फिर कुछ बातें आपने ही बढ़ानी हैं। अगर जरूरी हो तो अज़ीज़ दोस्त से करिअर व रिलेशनशिप की सलाह लें, लेकिन उसे स्वयं की कसौटी पर तोलकर ही स्वीकारें। आपका मन कभी आपसे झूठ नहीं बोलता, यदि उसके संकेतों को आप सही से समझ रहे हैं तो।