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हेल्दी हार्ट के लिए समय पर जांच व उपचार

जीवनशैली के बदलावों का असर हमारी सेहत पर हो रहा है। जिनमें हृदय रोगों के जोखिम भी शामिल हैं। हृदय की कार्यप्रणाली सुचारु रखने के लिए कई सावधानियां व समय-समय पर जांच जरूरी है। वहीं जोखिम की स्थिति में समुचित...
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रोबोटिक टेलीसर्जरी की प्रक्रिया
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जीवनशैली के बदलावों का असर हमारी सेहत पर हो रहा है। जिनमें हृदय रोगों के जोखिम भी शामिल हैं। हृदय की कार्यप्रणाली सुचारु रखने के लिए कई सावधानियां व समय-समय पर जांच जरूरी है। वहीं जोखिम की स्थिति में समुचित उपचार बेहतर है। जिसमें परंपरागत, नॉन इन्वेजिव व आधुनिक रोबोटिक सर्जरी के विकल्प मौजूद हैं।

डा. ए.के.अरुण

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हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हृदय हमारी परिसंचरण प्रणाली का हिस्सा है और धड़कते हुए शरीर के चारों ओर रक्त का प्रवाह करता है। रक्त शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व भेजता है, अवांछित कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। हृदय से जुड़ी समस्याओं में दिल का दौरा प्रमुख है जिसके लक्षणों में थकान शामिल है, वहीं सांस रोकने में तकलीफ, रक्त जमना, फेफड़ों में द्रव जमा होना, पैरों, टखनों व टांगों में द्रव जमा होना आदि भी। हृदय रोगों के प्रमुख कारण हैं - धूम्रपान, परिवार में रोग की हिस्ट्री, मोटापा, मधुमेह और बीपी, सुस्त जीवनशैली, शारीरिक श्रम न करना, बहुत ज्यादा तनाव व फास्टफूड का सेवन इत्यादि।

दिल के रोगों की जांच

ईसीजी टेस्ट : यह टैस्ट दिल की विद्युत गतिविधि मापता है। दिल धड़कने पर यह छोटे विद्युत आवेग पैदा करता है। ईसीजी मशीन इन संकेतों को कागज पर रिकॉर्ड करती है जो बताती है दिल कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है।

हार्ट रेट नियमित होना : आमतौर पर प्रति मिनट हार्ट रेट 60 और 100 बीट होती है। आप जान सकते हैं कि आपके दिल की धड़कन तेज है या धीमी। बैठकर उठने का टेस्ट- हार्ट की फिटनेस जानने को आप प्लेन जमीन पर खड़े हो जाएं और फिर वहां पालथी मारकर बैठ जाएं। अगर आप बिना किसी मदद के खड़े हो पा रहे हैं तो हार्ट फिट है। ब्लॉकेज - हृदय की नसें ब्लॉक होने पर सिर में दर्द की शिकायत हो सकती है। इससे ब्रेन तक जाने वाली नसें जाम हो जाती हैं और ब्लड सरकुलेशन में भी कमी आ सकती है। इसमें थकान-कमजोरी महसूस होती है।

जोखिम की स्थिति में सर्जरी से उपचार

हृदय रोगों की जांच के दौरान यदि धमनियों में ब्लॉकेज सामने आये व हार्ट अटैक-स्ट्रोक जैसे जोखिम हों तो उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर यानी कार्डियोलोजिस्ट सर्जरी कराने की सलाह भी दे सकता है। आजकल परंपरागत ओपन हार्ट सर्जरी, बाईपास सर्जरी के अलावा कई अन्य न्यूनतम इनवेसिव प्रोसिजर उपलब्ध हैं। वहीं रोबोटिक सर्जरी व टेलीसर्जरी के जरिये उपचार के विकल्प भी सामने आये हैं।

पहली सफल स्वदेशी रोबोटिक कार्डियक टेली सर्जरी

देश में पहली स्वदेशी सर्जिकल रोबोटिक टेक्नोलॉजी के डेवलपर और सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम बनाने वाली कंपनी एसएस इनोवेशन्स ने दो दिनों में दो पहली रोबोटिक कार्डियक टेलीसर्जरियों को सफलतापूर्वक अंजाम देकर विश्वस्तरीय चिकित्सा का दावा किया है। एसएसआई मंत्रा 3 सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम की मदद से यह संभव हो पाया, जिसमें 286 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुरूग्राम में एसएस इनोवेशन्स का मुख्यालय और जयपुर में मणिपाल हॉस्पिटल्स कनेक्टेड बने रहे।

रिमोट के द्वारा टेलीरोबोटिक-असिस्टेड इंटरनल मैमेरी आर्टरी हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया को 58 मिनट में पूरा किया गया। गुरूग्राम में एसएसआई मुख्यालय से एसएस इनोवेशन्स इंटरनेशनल, इंक के संस्थापक, चेयरमैन एवं सीईओ डॉ. सुधीर श्रीवास्तव के नेतृत्व में और मणिपाल हॉस्पिटल, जयपुर में चीफ़ ऑफ कार्डियक सर्जरी डॉ. ललित मलिक ने जयपुर की रिमोट लोकेशन में विशेषज्ञों की टीम के साथ इस सर्जरी को अंजाम दिया। यह सर्जरी मात्र 35-40 मिलि सैकेंड की लो लेटेंसी के साथ सटीकता से की गयी। इसके बाद पहली रोबोटिक बीटिंग हार्ट टोटली एंडोस्कोपिक कोरोनरी आर्टरी बायपास प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इसे सबसे जटिल कार्डियक सर्जिकल प्रक्रिया माना जाता है।

सुदूर इलाकों के मरीज़ों को होगा लाभ

दोनों सर्जरियों में गुरूग्राम और जयपुर के बीच कनेक्टिविटी बनी रही। यह उपलब्धि लम्बी दूरी पर टीम के तालमेल के द्वारा रिमोर्ट सर्जरी के नए मानक स्थापित करती है। जो आने वाले समय में टेलीसर्जरी की बदलावकारी क्षमता को दर्शाती है। अब किसी दूर के इलाके में मौजूद मरीज़ उच्च गुणवत्ता की सटीक मेडिकल केयर का लाभ उठा सकेंगे। दरअसल, एसएसआई मंत्रा 3 सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम, दुनिया का एकमात्र रोबोटिक सिस्टम है, जिसे टेलीसर्जरी और टेली-प्रॉक्टरिंग के लिए विनियामक अनुमोदन मिला है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कंट्रोल ओर्गेनाइज़ेशन द्वारा प्रदत यह मान्यता रिमोट सर्जरियों और मेडिकल शिक्षा की राह खोलती हैं, जिसके जरिये एक-दूसरे से लम्बी दूरी पर मौजूद चिकित्सा पेशेवर आपसी सहयोग से काम कर सकेंगे। इससे खासतौर पर सुदूर इलाकों के मरीज़ों को लाभ होगा, जो आधुनिक चिकित्सा सेवाओं से वंचित रह जाते हैं। भारत जैसे देश में जहां बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी है और भौगोलिक सीमाएं इलाज में रुकावट बन जाती हैं, यह इनोवेशन बदलावकारी साबित होगी।   -फी.डे.

 

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