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पिरामिडों की छांव में आधुनिकता का रोमांच

कायरो
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कायरो, मिस्र की राजधानी, दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ऐतिहासिक धरोहर और समृद्ध संस्कृति से आकर्षित करता है। यहां के प्राचीन पिरामिड, नील नदी, और समृद्ध बाजार जैसे खान-उल-खालिली का दौरा अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करते हैं। आधुनिकता और प्राचीनता का अनुपम संगम इस शहर को खास बनाता है, जहां 700 साल पुरानी मस्जिदों से लेकर आधुनिक कायरो टॉवर तक सब कुछ है। मिस्र की समृद्ध सभ्यता और संस्कृति के दर्शन के लिए कायरो का सफर निस्संदेह अद्वितीय है।

अमिताभ स.

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इजिप्ट कहें या मिस्र, यही ‘मदर ऑफ द वर्ल्ड’ भी कहलाता है। क्योंकि इतिहास गवाह है कि मिस्र तमाम सभ्यताओं का जनक है। कहीं-कहीं मिस्र की राजधानी कायरो के पश्चिम हिस्से को ‘मकबरे का शहर’ भी कहते हैं। जबकि पूरब कायरो आधुनिक महानगर है। इसका लैंडमार्क है 187 मीटर स्काईराइज कायरो टॉवर और 7 मंजिला ओपेरा हाउस। इस लिहाज से, कायरो गौरवमय गुजरे जमाने और अत्याधुनिक आज के बीच अनुपम तालमेल बनाए हैं। और पिरामिड के दीदार तो वाकई दीवाना बना देते हैं। जितनी तस्वीरें आप ने देखी हैं, या सैर-सपाटे पर जितनी किताबें पढ़ीं हैं, पिरामिड से रू-ब-रू होते ही सब फीकी पड़ जाती हैं। और फिर, पिरामिड देखे बगैर कायरो की सैर हमेशा अधूरी ही रहेगी।

सातों दिन, चौबीस घंटे रौनकें

आला शहर है कायरो! कायरो दिल्ली या अपने किसी महानगर की माफिक ही है- धूलदार और भीड़भाड़ भरा, लेकिन फिर भी दिल के करीब। शहर छोड़ने को जी ही नहीं करता। कायरो सातों दिन और चौबीस घंटे जागा रहता है। बाजारों में खासा क्राउड रहता है और खरीद-फरोख्त रात- रात भर ज़ारी रहती है। तहरीर चौक रौनकों और तमाम गतिविधियों का बड़ा केन्द्र है। उधर कॉप्टिक आर्थोडोक्स नाम के इलाके में सबसे ज्यादा गिरिजाघर हैं।

मस्जिदें भी कम नहीं है। मिस्र की सबसे बड़ी मस्जिद सयैदिना अल हुसैन तो देखने लायक है। यहां नमाजियों के साथ-साथ हर पर्यटक भी जाना चाहता है। अन्य आकर्षणों में सिटाडेल इलाका भी शुमार है, जहां 700 सालों से मिस्र के सम्राट रहते रहे हैं। उधर सुल्तान हसन की मस्जिद और मदरसा तो मिस्र आर्किटेक्ट की मिसाल है। एक और खास मस्जिद है कैतबे मस्जिद, जिसके ऊपर बने नक्काशी से सजे-धजे गुम्बद क्या दिलकश लगते हैं।

नील नदी हैं जान

कायरो के बीचोंबीच नील नदी बहती है। नील पर क्रूज और क्रूज में डिनर का इंतजाम भी लाजवाब है। कायरो नील के दाएं तट पर डेल्टा के बीचोंबीच है। नील शहर को पश्चिम और पूरब कायरो में बांटती है। हर तरफ़ भीड़ इतनी है कि यह दुनिया का तीसरा सबसे भीड़भाड़ वाला शहर बन गया है। जुलाई में भीड़ ज़रा कम होती है क्योंकि यहां पारा 45 डिग्री सेल्सियस पार कर जाता है। एक और दिलचस्प बात है कि दुनिया का सबसे पहला और पुराना बाज़ार यहीं है। नाम है खान-उल-खालिली। यही खान खमीली के नाम से जाना जाता है। शानदार पुराना बाज़ार है, दिल्ली के दिल चांदनी चौक से मिलता-जुलता।

और यही समूचे अफ्रीका की सबसे बड़ी मंडी है। ख़रीदने लायक क्या-क्या नहीं है? सूती कपडे, जूते, लैदर गुड्स, कला कृतियां वगैरह और इतना सब कुछ कि देखते-देखते ही थक जाते हैं। सूती गार्मेंट्स की तो सारी दुनिया में तारीफ है। म्यूजियम और पिरामिड कायरो स्टेट म्यूजियम भी देखने लायक है। यहां मिस्र के इतिहास से जुड़े साज-सामान की नुमाइश लगी है। एक साथ मिस्र की ढाई लाख प्राचीन कलाकृतियों का अनूठा संग्रह है। कितना बड़ा है, इसका अंदाजा लगाने के लिए कहा जाता है कि अगर एक कलाकृति को देखने में महज एक मिनट लगाओगे, तो सारी कलाकृतियां देखने में नौ महीने का वक्त लगेगा। म्यूजियम का खासमखास सेक्शन है- ममी सेक्शन। यहां ममियों को बिना किसी प्रिजर्वेशन के रखा गया है। कुल 3000 अलग-अलग ममियां हैं, जिनमें कुछेक जानवरों की भी हैं।

सदियों से खड़े गिज़ा के पिरामिड

कायरो से करीब आधे घंटे की सड़क दूरी पर नील के पार हैं गिजा के पिरामिड। यहां से कुछ ही किलोमीटर दूर प्राचीन मिस्र के ओल्ड किंगडम के खंडहर में तब्दील हो चुकी राजधानी मेमफिस है। गिजा सहारा रेगिस्तान के बगल में है। गिजा को कायरो का ट्विन शहर भी कहते हैं। पिरामिड ‘सेवन वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड’ में शुमार हैं। इसलिए इन्हें देखने सारी दुनिया से पर्यटक खिंचे आते हैं। अरबी कहावत है, ‘समय पर इंसान का बस नहीं, लेकिन समय पर पिरामिडों का बस है।’ क्योंकि पिरामिड सदियों से ज्यों के त्यों खड़े हैं।

ग्रेट पिरामिड करीब 4500 साल पहले बनाया गया था। जबकि स्फिनेक्स तो 4000 साल पहले ही बना था। पिरामिड से करीब 9 किलोमीटर आगे हैं ग्रेट स्फिनेक्स ऑफ इजिप्ट। यहां दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना स्फिनेक्स मौजूद है। चट्टान को कुरेद-कुरेद कर बनाया गया है। है 241 फुट लम्बा और 65 फुट ऊंचा। सिर राजा का है और धड़ शेर का। राजा और शेर का जुड़ाव बताता है कि राजा सूझबूझ और शेर ताकत व बल का प्रतीक है। ग्रेट स्फिनेक्स के सामने घाटी में है मम्मीफिकेशन टेंपल। यहां फारूख के शरीरों को पिरामिड में बंद करने से पहले ममी की रस्म अदायगी की जाती थी। यहां हर रात लाइट एंड लेजर शो होता है, जिससे गुजरे साल रोमांचक ढंग से जीवित हो उठते हैं।

मौसम, दूरी और...

अफ्रीका का देश है मिस्र और कायरो राजधानी है। फ्लाइट से, दिल्ली से कायरो पहुंचने में करीब 7 घंटे लगते हैं। और समय के लिहाज से, दिल्ली से करीब साढ़े 3 घंटे पीछे है।

फिलहाल, कायरों एयरपोर्ट पर उतरते ही झलकता है कि हम आधुनिक शहर में नहीं हैं। दुबई जैसी तरक्की कहीं नज़र नहीं आती। महज 20 फीसदी इमारतें ही स्काई राइज यानी गगनचुंबी हैं।

मिस्र की टूरिस्ट इंडस्ट्री दुनिया में पहली है। करीब 2000 साल पहले से यूरोप के लोग मिस्र के मकबरे और पूजा स्थल देखने उमड़ते रहते हैं।

करेंसी है इजिप्टशियन पाउंड। बोलचाल में, ज्यादा ‘ईजीपी’ कहलाता है। एक ‘ईजीपी’ करीब 1.70 रुपये बराबर है। यानी 170 रुपये के बदले में 100 ईजीपी मिलते हैं।

फलाफल मशहूर स्ट्रीटफूड है। भारतीय रेस्टोरेंट भी यहां-वहां कई हैं।

कायरो से करीब 180 किलोमीटर दूर अलेग्जेंड्रिया शहर भी क्या खूब है।

मौसम अपने उत्तरी भारत के मैदानी शहरों जैसा ही है। यानी मई-जून में तपती गर्मी और दिसम्बर-जनवरी में ठिठुरती ठंड पड़ती है।

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