असीम चक्रवर्ती
पश्चिम बंगाल में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है… ‘रॉके बोसे पोलिटिक्सेर आड्डा’ यानी चाय की दुकान में बैठ कर राजनीति की चर्चा। वैसे तो बंगाल में ज्यादातर चाय की गुमटियों में इस तरह की चर्चा देखना या सुनना एक आम बात है। अमूमन यहां की चर्चा के दो प्रिय विषय हैं- फुटबॉल और राजनीति। अब यह दीगर बात है, चुनाव के मौसम में राजनीति की बातें यहां एकदम उफान पर पहुंच जाती हैं। ऐसे में जब राजनीति के साथ ग्लैमर जुड़ता है,तो इस चर्चा में खूब तड़का लगता है। इसलिए हर साल सत्ता या विपक्षी दल किसी हीरोइन या हीरो को भी अपनी पार्टी का टिकट देना पसंद करते हैं। बंगाल में इसकी रफ्तार कुछ ज्यादा ही है। जैसे कि पिछले कई साल से शताब्दी राय,तापस पाल,संध्या राय,मुनमुन सेन,सायोनी घोष,मिमी चक्रवर्ती, नुसरत, रचना बनर्जी,पार्थो भौमिक,जून मल्लिआं जैसे कई छोटे-बड़े फिल्मी सेलिब्रेट्री के लिए यहां की सबसे बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस बड़ी शरणस्थली बनी हुई है। इसकी विस्तृत चर्चा ताजा गतिविधियों से शुरू करना ठीक होगा-
शताब्दी राय का दबदबा
बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री और तीन बार सांसद रह चुकी शताब्दी राय को तृणमुल ने चौथी बार वीरभूम से टिकट दिया है। शताब्दी तेज-तर्रार लीडर हैं। साल 1986 में तपन सिन्हा की बांग्ला फिल्म ‘आतंक’ से अपना कैरियर शुरू किया था। बाद में वह बांग्ला फिल्मों की टॉप हीरोइन बनीं। अपनी पहली फिल्म के नायक प्रसन्नजित और तापस पाल के साथ मिलकर बांग्ला की दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों में काम किया। वह अपने सामाजिक कार्यों की वजह से राजनीति में आयीं। साल 2009 में वीरभूम से लोकसभा का चुनाव जीतकर उन्होंने राजनीति में कदम रखा। संसद के गलियारों में उनकी गूंज सुनाई पड़ती है। इस दौरान अपनी नेता ममता बनर्जी से उनके मतभेद की अटकलें भी सुनने को मिली। पर ताजा सच यह कि वे तृणमूल पार्टी की उम्मीदवार हैं।
जादवपर की सायोनी घोष
फिल्म-टीवी एक्ट्रेस सायोनी घोष को गाने का भी शौक है। जबकि उनकी पहचान विवादास्पद हीरोइन के तौर पर ज्यादा है। संदेशखाली विवाद में उन्होंने ममता दी के पक्ष में कई ट्वीट कर मीडिया को खूब चौंकाया। इन दिनों तृणमूल की सीट माने जाने वाले जादवपर में उनके चुनाव प्रचार के डंके बज रहे हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ी रहने की वजह से भी सायोनी बंगाल में खूब लोकप्रिय हैं।
हुगली में रचना का संसार
हुगली से तृणमूल की उम्मीदवार रचना बनर्जी भी अपनी अंट-शंट बयानबाजी की वजह से चर्चा में रहती हैं। संदेशखाली मामले में वह भी राज्य प्रशासन के पक्ष में बोलती हुई नजर आयीं। उनका असली नाम झुमझुम बनर्जी है। रचना बनर्जी बांग्ला टीवी का एक बड़ा नाम है। वर्तमान में हुगली की सांसद लॉकेट चटर्जी से उनकी कड़ी टक्कर है। रचना ने तमिल,तेलुगु, कन्नड़ के अलावा उड़िया फिल्मों में काम किया है।
लिस्ट में और भी कई लोग
असल में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का फिल्म और टीवी जगत की सेलिब्रिटी के प्रति हमेशा ही खास अनुराग रहा है। शायद यही एक वजह है कि बंगाल के कई फिल्म कलाकार ही नहीं, फिल्म और टीवी जगत के दूसरे सेलिब्रिटी भी तृणमूल पार्टी के साथ परोक्ष और अपरोक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं। इस चुनाव में ममता दीदी ने पार्थो भौमिक,दीपक अधिकारी जैसे लेखक-निर्देशक को भी मौका दिया है।
कहां हैं नुसरत और मिमी
अभिनेत्री नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती- बंगला फिल्मों की इन दो अदाकाराओं ने 2019 की लोकसभा में खूब तहलका मचाया। चर्चित मॉडल और अभिनेत्री नुसरत जहां रुही अपने उन्मुक्त जीवन की वजह से हमेशा ही बांग्ला मीडिया की जबरदस्त क्रेज बनी रहीं। साल 2018 में वह ममता दीदी की चहेती बनी और 2019 में उन्हें बसीरहाट से उम्मीदवार बनाया गया। उल्लेखनीय है कि विवादास्पद संदेशखाली बसीरहाट चुनाव क्षेत्र में आता है। यहां जब कंट्रोवर्सी की शुरुआत हुई,तो सांसद नूसरत जहां को जरा भी फिक्र नहीं था। इस बार ममता दीदी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। यही नहीं, अब जांच एंजेसियों की नजरों में भी वह आ चुकी हैं। दूसरी ओर जादवपर की सांसद और अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती ने संदेशखाली विवाद के चलते बतौर सांसद अपना इस्तीफा दे दिया था,जिसे ममता ने अभी कबूल नहीं किया। मिमी एक्टिंग के साथ ही गायन के क्षेत्र में भी काफी लोकप्रिय हैं। अभी तक फिर से राजनीति में आने के बारे में उन्होंने कुछ नहीं सोचा है।
बीजेपी के उम्मीदवार
घोर प्रतिद्वंद्वी पार्टी तृणमूल की तरह भाजपा ने भी पश्चिम बंगाल के कई फिल्म सेलिब्रिटी को अपनी पार्टी में मौका दिया। अभी तक उसने पूरी लिस्ट जारी नहीं की है। पर अंजना बसु,तणुश्री चक्रवर्ती,राजश्री राजवंशी,पर्णो मित्रा जैसे कई बंगला फिल्म जगत के लोग इस चुनाव का चेहरा बन सकते हैं। दूसरी ओर मिथुन चक्रवर्ती,रूपा गांगुली जैसे कई बड़े फिल्म सेलिब्रिटी भी भाजपा में हैं। लॉकेट इस बार भी हुगली से चुनाव लड़ रही हैं। कहा जा रहा है भाजपा मिथुन को भी लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहती थी। पर उन्होंने मना कर दिया।
उत्तम-सौमित्र का राजनीति से परहेज
बांग्ला फिल्मों के दो महानायक उत्तम कुमार और सौमित्र चटर्जी को कई बार राजनीति में लाने की कोशिश की गई थी। मगर दोनों ने ही हमेशा राजनीति से अपने आपको दूर रखा। उत्तम कुमार हमेशा सामाजिक कार्यों की वजह से पहचाने गए। सौमित्र दा ने एक-दो बार जरूर कांग्रेस से चुनाव लड़ने का मन बनाया लेकिन बाद में पीछे हट गए। इसी तरह से हिंदी फिल्मों के बेहद लोकप्रिय नायक विश्वजीत ने भी मिथुन चक्रवर्ती की तरह टीएमसी पार्टी ज्वाइन की। पर बाद में इस पार्टी से मोहभंग होने की वजह से दोनों ही भाजपा में आ गए। पर बढ़ती उम्र के चलते ज्यादा दिन राजनीति में सक्रिय नहीं रह पाए।