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रौनक लौटी प्राचीनतम शिक्षा केंद्र की

नालंदा विश्वविद्यालय
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भारत के बिहार राज्य में स्थित शिक्षा के प्राचीनतम वैश्विक केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय की 12वीं सदी तक जो सुकीर्ति रही है, उसका कोई सानी नहीं। लेकिन विदेशी आक्रांताओं के हमलों से इस पर ग्रहण लगा। कई सदियों बाद इसके पुनर्जीवन के प्रयासों से साल 2014 में नये नालंदा विश्वविद्यालय की शुरुआत हुई और पहला अकादमिक सत्र शुरू हुआ। इसकी रौनक व गौरव धीरे-धीरे लौट रहे हैं।

वीना गौतम

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हर शहर, हर महानगर और हर कस्बे की अपनी एक निजी पहचान, निजी विशेषता होती है,जो हर दूसरी जगह से अलग होती है। ऐसी ही खासियत है भारत के प्राचीन गौरव नालंदा विश्वविद्यालय में। सदियों बाद हुई शुरुआत के बाद जिसकी रौनक इसे ‘भारत का अपना हार्वर्ड’ भी कह सकते हैं। हालांकि एक तरह से प्राचीन नालंदा विवि की तुलना अमेरिका के हार्वर्ड विवि से करना विद्या के इस प्राचीनतम वैश्विक केंद्र की तौहीन है, क्योंकि 5वीं सदी से 12वीं सदी तक नालंदा विश्वविद्यालय की जो सुकीर्ति रही है, उसका कोई सानी नहीं। लेकिन विदेशी आक्रांताओं द्वारा इसे ध्वस्त कर दिये जाने के बाद कई सदियां गुजरी हैं, उस कारण आज अगर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया के किसी मौजूदा विश्वविद्यालय के सांकेतिक उदाहरण से समझा जा सकता है, तो वह आधुनिक ज्ञान का बेजोड़ घर हार्वर्ड विश्वविद्यालय ही हो सकता है। बहरहाल नालंदा विश्वविद्यालय का नाम लेते ही भारत के प्राचीन ज्ञान, गौरव, शिक्षा और सांस्कृतिक विपुलता का बोध होता है। निःसंदेह सदियों तक अपने न होने पर भी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय इतिहास में भारत का एक महत्वपूर्ण लैंडमार्क रहा है। कभी यहां 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ा करते थे और 2 हजार से ज्यादा शिक्षक थे।

गौरव की दिशा में नयी शुरुआत

हालांकि नालंदा के गौरव गाथाएं अभी महज इतिहास का हिस्सा हैं, लेकिन साल 2006 के बाद प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की जो आधुनिक कहानी शुरू हुई है, वह इतिहास के अपने सुनहरे पदचिन्हों की तरफ सधे कदमों से बढ़ रही है। गौरतलब है कि यह विश्वविद्यालय बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित है, जो कि पटना से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाईअड्डा गया का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो इससे करीब 80 किलोमीटर है। नालंदा विवि के सबसे निकट स्थित शहर राजगीर है जो बुद्धिस्ट सर्किट का बोधगया और नालंदा के साथ महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सम्राट कुमारगुप्त ने की थी स्थापना

महान नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन गौरव पर एक नजर डालना भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का पुनर्पाठ करने जैसा है। लगभग 5वीं सदी ईस्वी के समय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। यह विश्वविद्यालय बुद्धिज्म, दर्शनशास्त्र, आयुर्वेद, गणित, खगोलशास्त्र और साहित्य के अध्ययन का विश्व प्रसिद्ध केंद्र था। एक समय यहां 10 हजार से ज्यादा छात्र और 2 हजार से ज्यादा शिक्षक थे, जो कि आवासीय विश्वविद्यालय था। महान तिब्बती विद्वान तात्स्यांग और इत्सिंग जैसे चीनी यात्री यहां अध्ययन कर चुके हैं।

आक्रांता का बना निशाना

इस विश्वविद्यालय को 12वीं सदी के अंत में बख्तियार खिलजी ने आक्रमण करके ध्वस्त कर दिया था और वह इसका नामोनिशान मिटाने के लिए इसमें आग लगा दी थी, जो कहते हैं एक साल तक जलती रही थी।

पुनर्जीवन के विचार को मिला आकार

साल 2006 में भारत सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्जीवन की योजना बनायी। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के ‘नॉलेज कॉरिडोर’ के विचार के केंद्र में नालंदा विश्वविद्यालय भी था। साल 2010 में नालंदा यूनिवर्सिटी एक्ट 2010 संसद में पारित हुआ तथा नालंदा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की विधिवत स्थापना की योजना बनी।

अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा

भारत सरकार ने इसे अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय घोषित किया, जिसमें आसियान देशों का व्यापक समर्थन हासिल हुआ। साल 2014 में पुराने नालंदा विश्वविद्यालय की सरजमीं पर नये नालंदा विश्वविद्यालय की शुरुआत हुई और पहला अकादमिक कार्यक्रम शुरू हुआ। साल 2021-2023 के बीच नालंदा विश्वविद्यालय के नये कैंपस का निर्माण हुआ। यहां पर इस दौरान कई ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम्स का विस्तार हुआ। साल 2024-25 में आसियान, बिम्सटेक, यूरोपीयन यूनिवर्सिटी पार्टनरशिप्स बढ़ी और इस तरह ग्लोबल सेंटर फॉर बुद्धिस्ट स्टडीज एंड इकोलॉजी जैसे वैश्विक अध्ययन केंद्र की स्थापना हुई। आज यानी 2025 का नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध अध्ययन, तुलनात्मक धर्म, पर्यावरण और सतत विकास, ऐतिहासिक अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और दर्शनशास्त्र मुख्य विषय के रूप में पढ़ाये जाते हैं। यहां 40 से ज्यादा देशों के छात्र हैं और इंटरनेशनल फैकेल्टी व इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च केंद्र मौजूद है।

‘ज्ञान, शांति और साझा भविष्य के लिए शिक्षा’ के मिशन के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय का यह नया आदर्श वाक्य है। आज यह विश्वविद्यालय ग्लोबल नॉलेज हैरिटेज और मॉर्डन एकेडमिक सेंटर के रूप में धीरे-धीरे बढ़ रहा है। -इ.रि.सें.

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