बुजुर्गों के तजुर्बों की सीख का मूल्य समझे नयी पीढ़ी
बुजुर्ग अपनी जिंदगी में हर तरह के हालात से गुजरे होते हैं। उनके पास अनुभवों का खजाना होता है। इससे नयी पीढ़ी के मन-जीवन को सार्थकता मिलेगी। बड़ों के दृष्टिकोण, अनुभव और ज्ञान को पहचानने और सम्मान देने का माहौल हर घर में बनाना होगा। वरिष्ठजनों की सलाह व सबक को मानना-सुनना फायदेमंद है। इसमें जहां सहज भाव से, गिले-शिकवे भुलाकर व खुलकर जीने की सीख शामिल है, वहीं समाज-परिवार से जुड़े रहने की भी।
बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं, उनकी सलाहें भी अनमोल होती हैं। छोटी हो या बड़ी, हर उलझन में उनका मार्गदर्शन मददगार बनता है। सहज रूप से नयी पीढ़ी को सही दिशा दिखाता है। उनके अनुभव व्यावहारिक ज़िंदगी से मिलवाते हैं। आम सी सलाह भी जीवन के लिए बहुत मूल्यवान होती है। बरसों जिंदगी से जूझकर जुटाये गए अनुभव और दुःख-सुख को जीते हुए सीखे अनगिनत सबक, नयी जनरेशन की जिंदगी को नेविगेट करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
Advertisementअनुभव से सबक
बुजुर्गों ने अपनी जिंदगी में हर तरह के हालात से जुड़े अनुभवों को जिया होता है। सर्वाइवल यानी अस्तित्व बचाने के सूत्रों को खुद समझा होता है। सहज हो या चुनौतीपूर्ण, परिस्थितियां बहुत से सबक सिखाकर जाती हैं। ऐसे में संचित समझ और ज्ञान की पूंजी से भरी उनकी झोली नयी पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकती है। जीवन के हर पहलू पर उनसे मिली सलाह सही दिशा दिखा सकती है। रिश्तों और कैरियर से लेकर व्यक्तित्व विकास, सही फैसले लेने और खुद को थामने के मोर्चे पर उनका दृष्टिकोण अहम होता है। जो हर जटिल परिस्थिति में जादू सा बन मन को दिशा दे जाता है। ऐसे अनमोल सबक किताबों में नहीं मिलते। ना ही हर ओर छायी रील्स और वीडियो जिंदगी के संघर्षों के दौरान जुटाये गए इस तजुर्बे की बराबरी कर सकते हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2025 में वरिष्ठ नागरिक दिवस का थीम ‘एम्पावरिंग एल्डरली वॉइसेज़ फॉर एन इंक्लूजिव फ्यूचर’ है। समावेशी भविष्य के लिए बुजुर्ग आवाज़ों को सशक्त बनाने से जुड़े इस थीम का उद्देश्य बुजुर्गों के विचारों को सुना जाना है। उनकी सोच-समझ को अहमियत देने से जुड़ा है। ऐसे में बड़ों के दृष्टिकोण, अनुभव और ज्ञान को पहचानने और मान देने का माहौल हर घर में बनाना होगा। इस ओर बढ़ा पहला कदम वरिष्ठजनों की सलाह-समझाने को मानने-सुनने से ही जुड़ा है। यह स्थिति स्वयं नयी पीढ़ी के भी मन-जीवन को भी सार्थक दिशा देने वाली साबित होगी।
सहजता का भाव
‘लेट गो, छोड़ो, जाने दो या भूल जाओ’ यह सलाह बड़ों की बातों में अवश्य शामिल होती है। असल में जीवन भर की उलझनों में अपनी ऊर्जा और समय लगा चुके बुजुर्ग इस सच को समझ चुके होते हैं कि अपने आप के प्रति भी सहजता का भाव जरूरी है। मन दुखाने वाली बातों को पकड़कर बैठ जाना असल में खुद को ही दुख देता है। ऐसी चीजों को जाने देना ही सही है। इसीलिए बड़े हमेशा समझाते हैं कि ग्रजेज यानी गिले-शिकवे को मत पकड़ो। मन में पलता द्वेष या शिकायतें, आज ही नहीं आने वाले कल में भी खुद को ही चोट पहुंचाते हैं। समय और स्थिति बादल जाती है पर मन में दबा दुख, आक्रोश या दुर्भाव सदा के लिए ठिकाना बना लेता है। बड़े-बुजुर्ग उम्र के एक पड़ाव पर पहुंचने के बाद याद करते हुए कहते ही हैं कि ‘मुझे यह नहीं करना था’ या ‘किसी अपने से दूर नहीं होना था’। पीछे छुटे जीवन की जो बातें, निर्णय या शब्द उनके लिए आज अपराधबोध का कारण बन रही हों, वे उनसे बचने की समझ का पाठ जरूर पढ़ाते हैं। इसी के चलते हर हाल में सहज रहने की सलाह देना नहीं भूलते।
खुलकर जीने की सलाह
जिंदगी की आपाधापी में जीना ही भूल जाने की गलती करने वाले बुजुर्ग खुलकर जीने की सलाह भी देते हैं। अच्छा-बुरा वक्त जीवनभर दस्तक देता रहता है। लोग मिलते-बिछुड़ते हैं। जिम्मेदारियां भी निभानी ही होती हैं। ऐसे में सारा वक्त फिक्र करने में नहीं लगाया जा सकता है। डरकर जिंदगी नहीं जी जा सकती। हमारे बड़ों ने बहुत से हालातों से गुजरने के बाद यही समझा होता है कि बात-बात में भयभीत होने का कोई अर्थ नहीं। जीवन की अपनी गति है। उसके साथ सहजता से चलते रहना ही सही है। बुजुर्ग सामाजिक-पारिवारिक माहौल से जुड़ने की सलाह भी देते हैं। भारतीय समाज में तो घर बसाने के मामले में बुजुर्गों की राय आज भी अहम मानी जाती है। बड़े भी अपने अनुभवों से सावधानी के साथ अपना जीवन साथी चुनने की ना केवल सलाह देते बल्कि चुनाव में मदद भी करते हैं। जिसके साथ जीवन बिताना हो, उसके बारे में व्यावहारिक धरातल पर सब कुछ जानने-समझने की बात कहते हैं।
स्वास्थ्य सहेजने का सुझाव
अपने शरीर की देखभाल करने का सुझाव बड़े बहुत गंभीरता से देते हैं। सेहत सहेजने के लिए समय रहते सजग होने का पाठ पढ़ाते हैं। अपने स्वास्थ्य की संभाल को लेकर की गई अनदेखी या किसी गलती का उदाहरण भी देते रहते हैं। ताकि नई पीढ़ी बीमारी के बारे देर से जानने या सही समय पर अवेयर न होने की गलती न करे। इसीलिए सक्रिय रहने, बुरी आदतों से बचने और नियमित जांच करवाने की सलाह बड़े-बुजुर्ग देते हैं। छोटी सी गलती का खामियाजा कितना बड़ा हो सकता है, वे देख-जी चुके होते हैं। इसीलिए नई पीढ़ी को हेल्थ का ख्याल रखने से जुड़ी परंपरागत जानकारी देते रहते हैं। इसीलिए समय निकालकर अपने बड़ों के पास बैठें। उनकी बातें सुनना जीवन के भरे-पूरे खजाने को खंगालने जैसा है। इसी खजाने से आपको जीवन जीने का सलीका सिखाने वाली सलाहों के अनमोल मोती मिलेंगे।