नयी पीढ़ी को भा रही ब्रांडेड कॉपी
नामी कंपनियों के प्रोडक्ट्स के डुप्लीकेट्स खास तौर से कॉलेज गोइंग स्टूडेंट में पॉपुलर हैं। ये सस्ते हैं, साथ ही ओरिजनल का अहसास भी देते हैं। इन्हें सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर इस्तेमाल करते हैं। उन्हीं की देखा-देखी युवा खरीदने लगे हैं। महंगे और हाई क्वालिटी प्रोडक्ट्स का यह कम खर्चीला विकल्प है। नकली उत्पादों के विपरीत ये बड़ी कंपनियों की कार्बन कॉपी होते हैं।
फैशन की दुनिया में डुप्लीकेट कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है। लेकिन गुजरते वक्त के साथ बड़ी और नामी कंपनियों के प्रोडक्ट्स की डुप्लीकेसी आज की तारीख में आम हो गई है। इसकी वजह यह भी है कि मार्केट में नई जनरेशन को यह काफी भा रहे हैं। इन्हें उनका खूब प्यार मिल रहा है। यही वजह है कि ये उनके बीच काफी पॉपुलर भी हैं। डुप्लीकेट चीजों के नाम पर पहले उनके महंगे ओरिजनल प्रोडक्ट्स खरीदने वाले कतराते थे, लेकिन जनरेशन जेड इसका खुले दिल से स्वागत कर रही है। यह एक ऐसा ट्रेंड है जो फैशन बन गया है।
बढ़ती कीमतें हैं पॉपुलेरिटी की वजह
ओरिजनल बड़े नामी-गिरामी कंपनियों के प्रोडक्ट्स की ज्यादा बढ़ती कीमतें, लोगों की कम आमदनी और आर्थिक अस्थिरता के इस माहौल ने डुप्लीकेसी को काफी बढ़ावा दिया है। जनरेशन जेड ओरिजनल अफोर्ड न कर पाने की वजह से डुप्लीकेट को ही खरीदकर खुश हो लेते हैं। कॉलेज गोइंग स्टूडेंट अपना पैसा बचाने के लिए उन्हें खरीदते हैं। डुप्लीकेसी में वे अपने पियर्स ग्रुप में यह इम्प्रेशन बनाकर चलते हैं कि अगर ओरिजनल न खरीद पाएं तो सस्ता और डुप्लीकेट ही सही, वे खरीद सकते हैं। वे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर इन डुप्लीकेट प्रोडक्ट्स की तस्वीरें एक-दूसरे को भेजते हैं व उनको भी इन सस्ते विकल्पों को खरीदने की सलाह देते हैं।
नकली नहीं, ब्रांडेड की कार्बन कॉपी
महंगे प्रोडक्ट्स की बजाय डुप्लीकेट का टैग लगे इन आइटम को खरीदकर वे खुश होते हैं। यह मार्केट में हर जगह उपलब्ध होते हैं और इन्हें सोशल मीडिया इंफ्लुएंंसर भी इस्तेमाल करते हैं। उन्हीं की देखा देखी महंगे और हाई क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स का यह कम खर्चीला विकल्प होता है। बाजार में दूसरी कंपनियों के नकली उत्पादों के विपरीत ये बड़ी कंपनियों की कार्बन कॉपी होते हैं। हां, उनमें उन उत्पादों की कुछ खासियतें होती हैं। मसलन उनका डिजाइन या ब्यूटी मिलते-जुलते होते हैं, जिनकी वे नकल होते हैं और ट्रेड मार्क के मामले में भी डुप्लीकेट प्रोडक्ट्स किसी ट्रेड मार्क का उल्लंघन नहीं करते। कुल मिलाकर कार्बन कॉपी वाले ये प्रोडक्ट्स खरीदकर जनरेशन जेड को अहसास होता है कि वे किसी महंगी वस्तु के अब मालिक बन गये हैं।
नामी ब्रांड के अपने भी क्रिएशन
देश के बड़े बड़े शहरों में जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और दूसरे कई छोटे शहरों में भी अपने कंज्यूमर को महंगे प्रोडक्ट्स के एवज में सस्ती कार्बन कॉपी उत्पाद पहुंचाने के लिए आजकल कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड खुद ही नकली ब्रांड तैयार करते हैं ताकि उनके ये प्रोडक्ट्स ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकें। कभी कभी बहुत बड़े ब्रांड भी आम जनता तक पहुंचने के लिए इन किफायती उत्पादों शृंखला शुरू करते हैं। इनमें मध्यम दर्जे की कंपनियां भी हैं, उन्हीं की आड़ में उनकी भी नकल करने वाली कई छोटी कंपनियां ऐसे उत्पाद पेश करती हैं। असली ब्रांड का कभी कभी तो नाम ही चुन लेती हैं। कभी कभी उनके एक दो अक्षरों को आगे पीछे करके असली उत्पाद होने का भ्रम पैदा करती हैं। यही वजह है कि आज नामी कंपनियों की ये कार्बन कॉपियां जिनमें मेकअप प्रोडक्ट्स, जूते, कपड़े, धूप के चश्मे शामिल हैं, हर जगह खरीदे-बेचे जा रहे हैं।
सोशल मीडिया का असर
सोशल मीडिया क्रिएर्ट्स द्वारा जनरेशन जेड के बीच लोकप्रिय हुए इस ट्रेंड को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और लोगों के मन में यह धारणा बना दी गई कि इन वैश्विक ब्रांडों या लग्जरी ब्रांड्स के असली प्रोडक्ट्स नहीं खरीद सकते तो डुप्लीकेट खरीदने में बुराई क्या है? लोगों द्वारा जब इसे बढ़-चढ़कर खरीदा जाने लगा तो इस दौड़ में डुप्लीकेट उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भला कैसे पीछे रहती। क्योंकि इसमें न तो किसी का ब्रांड चुराया जा रहा है, न ही धोखा दिया जा रहा है। इस बीच की स्थिति ने सस्ते और कार्बन कॉपी खरीदने वाले जनरेशन जेड के दिलों में डुप्लीकेट उत्पादों की एक जगह बना दी।
जनरेशन जेड फास्ट फैशन के इस दौर में विभिन्न ब्यूटी प्रोडक्ट्स और क्लोदिंग में टिकाऊपन की ज्यादा उम्मीद भी नहीं करती। पर्यावरण के प्रति यह जागरूक जनरेशन इसे एक विकल्प के रूप में चुनकर संतुष्ट है। क्योंकि उसे यह काफी कम कीमत पर मिल जाते हैं। -इ.रि.सें.